‘मामा’ के खिलाफ महिलाओं ने किया अनोखा प्रदर्शन, कांग्रेसी बोले-इस विरोध से पुत गई सरकार पर कालिख

भोपाल। मध्य प्रदेश कांग्रेस के मीडिया प्रभारी मानक अग्रवाल ने कॉलेजों की महिला अतिथि विद्वानों द्वारा राजधानी भोपाल के नीलम पार्क में धरना-प्रदर्शन किया। इस दौरान विरोध स्वरूप अपने दुपट्टे उतार-उतार कर आग के हवाले करने की घटना को सरकार के लिए बेहद शर्मनाक बताया है। उन्होंने कहा कि महिलाओं द्वारा इस तरह के विरोध से शिवराज सरकार पर एक बार और कालिख पुत गई है।

 मुख्यमंत्री शिवराज सिंह

उन्होंने कहा कि इसके पूर्व भी महिला अध्यापक बहनों ने सरकार के विरोध में मुंडन कराया, जनता के जूते पॉलिश किये और अब सरेआम अपने-अपने दुपट्टे जलाये। महिलाओं के सम्मान की बड़ी-बड़ी बातें करने वाले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह और क्या चाहते हैं?

पूरे प्रदेश में बारह हजार से अधिक अतिथि विद्वान हैं। इनमें 60 फीसदी महिलाऐं हैं। कई लोग तो बीस-बीस सालों से काम कर रहे हैं। मुख्यमंत्री उन्हें नियमित करने के सपने लगातार दिखाते रहे और आश्वासन देते रहे।

उन्होंने कहा कि अब लोकसेवा आयोग से भर्ती का आधा-अधूरा विज्ञापन निकलवाकर मुख्यमंत्री ने उन्हें धोखे में रखा।

मीडिया प्रभारी ने कहा कि मुख्यमंत्री ने लोकसेवा आयोग की भर्ती में मध्यप्रदेश के निवासियों को आयु सीमा में विशेष छूट देने की घोषणा की थी। इस तरह की छूट छत्तीसगढ़ और उत्तराखंड राज्यों में भी दी गई है, लेकिन मध्यप्रदेश में नहीं।

मध्यप्रदेश पीएससी द्वारा कॉलेजों में सहायक प्राध्यापक, क्रीड़ा अधिकारी और ग्रंथपाल की भर्ती के लिए जो विज्ञापन निकला है, उसमें आयु सीमा में छूट दिये जाने का कोई उल्लेख नहीं है। इस तरह मध्यप्रदेश के बेरोजगार युवाओं के साथ शिवराजसिंह ने फिर धोखा किया।

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साथ ही पीएससी द्वारा जारी विज्ञापन में इन पदों पर केवल परीक्षा के आधार पर भर्ती किये जाने का उल्लेख है और इसकी प्रक्रिया भी शुरू हो गई है। परीक्षा के बाद अभ्यार्थियों का कोई साक्षात्कार नहीं होगा। यानि बिना साक्षात्कार के भर्ती कर ली जायेगी, जबकि राजपत्रित पद पर एक पद के पीछे तीन से पांच लोगों को इंटरव्यू के लिए बुलाया जाना चाहिए। इससे अन्य अभ्यार्थियों के मौके समाप्त हो गये हैं, यानि बेरोजगारों के साथ एक और धोखा।

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शिवराजसिंह यदि वचन के जरा भी पक्के हैं और उनमें महिलाओं, युवा बेरोजगारों के प्रति जरा भी सहानुभूति है, तो पीएससी की दोषपूर्ण भर्ती प्रक्रिया को तत्काल निरस्त कर नये फर्जीवाड़े को रोकें और सालों से काम कर रहे लोगों को नियमित करें।

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