ग्लोबल वार्मिग पर तत्काल, सामूहिक कार्रवाई आवश्यक : आईपीसीसी

इंचियोन| जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र की अंतरसरकारी समिति (आईपीसीसी) ने सोमवार को सार्वजनिक किए गए नए आकलन में कहा है कि ग्लोबल वार्मिग को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने के लिए समाज के सभी पहलुओं में त्वरित, दूरगामी और अभूतपूर्व बदलाव की जरूरत है। आईपीसीसी ने कहा कि लोगों और प्राकृतिक पारिस्थितिक तंत्रों को स्पष्ट लाभ के साथ ग्लोबल वार्मिग को दो डिग्री की तुलना में 1.5 डिग्री तक सीमित करने के लिए अधिक चिरस्थायी और न्यायसंगत समाज सुनिश्चित करते हुए सभी को हाथ से हाथ मिलाना होगा।
ग्लोबल वार्मिग पर तत्काल, सामूहिक कार्रवाई आवश्यक : आईपीसीसी
आईपीसीसी द्वारा, ग्लोबल वार्मिग को 1.5 डिग्री सेल्सियस पर सीमित करने पर जारी एक विशेष रपट को शनिवार को कोरियाई शहर में मंजूरी प्रदान की गई। आईपीसीसी जलवायु परिवर्तन से संबंधित विज्ञान का आकलन करने के लिए संयुक्त राष्ट्र की इकाई है।

समिति के अध्यक्ष होसुंग ली ने कहा, “6,000 से ज्यादा वैज्ञानिक संदर्भो का हवाला और विश्व भर के हजारों विशेषज्ञों और सरकारी समीक्षकों के समर्पित योगदान के साथ यह महत्वपूर्ण रपट आईपीसीसी की उदारता और नीति प्रासंगिकता का प्रमाण प्रस्तुत करती है।”

40 देशों के 91 लेखकों और समीक्षा संपादकों ने आईपीसीसी की रपट तैयार की है। यह रपट संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन क्लाइमेट चेंज (यूएनएफसीसीसी) के आमंत्रण पर तैयार की गई है। यूएनएफसीसीसी ने 2015 में पेरिस समझौते को अपनाने पर यह आमंत्रण दिया था।

आईपीसीसी वर्किं ग ग्रुप 1 के सहअध्यक्ष पनमाओ झाई ने कहा, “इस रपट से जो एक मुख्य संदेश बड़ी मजबूती से बाहर निकलकर आया है, वह यह कि हम ग्लोबल वार्मिग के एक डिग्री सेल्सियस के परिणाम पहले ही देख रहे हैं, जिसमें मौसम में अत्यधिक बदलाव, समुद्री जलस्तर में वृद्धि और आर्कटिक के समुद्री बर्फ के पिघलाव सहित अन्य बदलाव शामिल हैं।”

रपट में जलवायु परिवर्तन के बहुत से प्रभावों को रेखांकित किया गया है, और ग्लोबल वार्मिग को दो डिग्री या इससे ज्यादा के मुकाबले डेढ़ डिग्री तक सीमित कर इन प्रभावों से बचा जा सकता है।

उदाहरण के लिए, वर्ष 2100 तक दो डिग्री के मुकाबले ग्लोबल वार्मिग को डेढ़ डिग्री तक सीमित करने पर वैश्विक समुद्री स्तर 10 सेंटीमीटर नीचे रहेगा।

1.5 डिग्री सेल्सियस ग्लोबल वार्मिग के साथ कोरल रीफ में 70 से 90 फीसदी की गिरावट आएगी, जबकि दो डिग्री के साथ यह लगभग 99 फीसदी तक खत्म हो जाएगा।
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आईपीसीसी वर्किंग ग्रुप 2 के सहअध्यक्ष हैंस ओट्टो पार्टनर ने एक बयान में कहा, “तापवृद्धि में प्रत्येक वृद्धि महत्व रखती है, विशेष रूप से 1.5 डिग्री सेल्सियस या उससे अधिक की तापवृद्धि पारिस्थितिक तंत्र को नुकसान पहुचाती है।”

पार्टनर ने कहा, “ग्लोबल वार्मिग को सीमित करने से लोगों और पारिस्थितिक तंत्र को संबंधित जोखिमों से बचने के अधिक मौके मिलेंगे।”

वर्किं ग ग्रुप 1 की सह अध्यक्ष वैलेरी मैसन-डेलमोटे ने कहा, “अच्छी खबर यह है कि ग्लोबल वार्मिग को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने के लिए आवश्यक कुछ कदम दुनिया भर में पहले ही उठा लिए गए हैं, लेकिन उन्हें और तेजी से आगे बढ़ाने की जरूरत होगी।”

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