राज्यसभा से ज्यादा दिलचस्प होगा विधान परिषद का चुनाव, गणित बिगाड़ सकता है बुआ-बबुआ का खेल

लखनऊ। राज्यसभा चुनाव में दसवीं सीट के लिए फंसा दांव-पेच तो आपको भलीभांति याद ही होगा। जब निर्दलीय और अन्य पार्टी से बगावत कर कई विधायकों ने भारतीय जनता पार्टी के खेमे में वोट दाल दिया। अन्तः जब नतीजा आया तो सपा-बसपा गठबंधन के होश उड़ गये थे। क्योंकि बुआ-बबुआ के साथी भीमराव आंबेडकर को भाजपा के अनिल अग्रवाल ने पराजित कर दिया था। लेकिन राजनीतिक रोमांच अभी थमा नही है। क्योंकि अब उत्तर प्रदेश में 10 राज्यसभा सीटों के चुनाव के बाद बारी विधान परिषद चुनाव की है।

राज्यसभा से ज्यादा दिलचस्प

यानी एक बार फिर सत्ताधारी बीजेपी और सपा-बसपा गठबंधन सहित सारा विपक्ष आमने-सामने होगा। राज्य के विधानसभा सदस्यों द्वारा चुनी जाने वाली 38 विधान परिषद सीटों से में 13 सीटों पर चुनाव होने हैं। 5 मई को इनमें से 12 विधान परिषद सदस्यों का कार्यकाल पूरा हो रहे हैं और एक सीट पहले से रिक्त है।

विधान परिषद चुनाव में विधायक अपना वोट राज्यसभा की तरह पोलिंग एजेंट को दिखाने के लिए बाध्य नहीं होते हैं। ऐसे में क्रॉस वोटिंग होने की ज्यादा संभावना रहती है। ऐसे में अगर 13 सीट पर 14 उम्मीदवार मैदान में आते हैं तो सियासी घमासान देखेने को फिर मिलेगा।

विधान परिषद सदस्य का गणित

सूबे में कुल 100 विधान परिषद सदस्य हैं। इनमें से विधानसभा सदस्यों द्वारा 38 विधान परिषद सदस्यों का चयन होता है। वहीँ 36 विधान परिषद सीटें ऐसी हैं जो स्थानीय निकाय द्वारा निर्वाचित होती हैं।

इसके अलावा 8 सदस्यों का चुनाव शिक्षकों द्वारा और 8 सदस्य स्नातक सदस्यों द्वारा चुने जाते हैं। वहीं 10 विधान परिषद सदस्य मनोनीत किए जाते हैं।

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बता दें इन सभी सदस्यों का कार्यकाल 6 साल के लिए होता है। विधायकों द्वारा चुने जाने वाले विधान परिषद सदस्यों में से एक तिहाई सदस्य हर दो साल पर चुने जाते हैं।

विधान परिषद की जिन 13 सीटों का चुनाव है, जोकि विधायकों द्वारा चुने जाने हैं। ऐसे में कुल रिक्त सीट को कुल विधायकों की संख्या से भाग कर दें। यानी उत्तर प्रदेश में कुल 402 विधान सभा सदस्य हैं और 13 विधान परिषद सीटों पर चुनाव हैं। ऐसे में 402 को 13 से भाग देते हैं तो करीब 31 आता है। इस प्रकार से सूबे की एक सीट के लिए 31 विधायकों के वोट चाहिए।

इन सदस्यों का पूरा हो रहा कार्यकाल

सामाजवादी पार्टी से अखिलेश यादव, राजेंद्र चौधरी, नरेश उत्तम, मधु गुप्ता, उमर अली खान, विजय यादव और रामसकल गुर्जर की विधान परिषद का कार्यकाल 5 मई को पूरा हो रहा है।

जबकि बीएसपी के विजय प्रताप सिंह और सुनील कुमार चित्तौड़, रालोद के चौधरी मुश्ताक, बीजेपी से मोहसिन रजा और महेंद्र कुमार सिंह का भी कार्यकाल पूरा हो रहा है। इसके अलावा सपा से पाला बदलकर बीएसपी में गए अंबिका चौधरी की खाली सीट पर चुनाव होना हैं। इस तरह से कुल 13 विधान परिषद सीटें खाली हो रही हैं।

13वीं सीट पर होगा घमासान

सूबे की मौजूदा विधानसभा सदस्य पर अगर नजाए डालें तो बीजेपी गठबंधन के पास 324 विधायक हैं। इसके अलावा निर्दलीय विधायकों के साथ-साथ सपा-बसपा और आरएलडी के बागी विधायकों को मिलाकर 331 का आंकड़ा पहुंचता है। ऐसे में बीजेपी की 10 सीट पर जीत तय है। इसके बाद 21 वोट अतिरिक्त बचेंगे।

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ऐसे में बीजेपी राज्यसभा चुनाव की तरह 11वां उम्मीदवार मैदान में उतार सकती है। सपा-बसपा और कांग्रेस को मिलाकर विपक्ष दो सीटें आसानी से जीत सकता है। इसके बाद भी उसके 9 वोट बचेंगे। ऐसे में विपक्ष तीसरा उम्मीदवार उतारता है, तो फिर राज्यसभा चुनाव की तरह से मुकाबला दिलचस्प हो जाएगा।

बता दें सूबे की 13 विधान परिषद सीटों के चुनाव के लिए अगले महीने अप्रैल में अधिसूचना जारी हो सकती है।

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