
15 अगस्त को अलास्का के जॉइंट बेस एल्मेडॉर्फ-रिचर्डसन में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच हुई बहुप्रतीक्षित बैठक में यूक्रेन युद्ध पर कोई अंतिम समझौता नहीं हो सका। करीब तीन घंटे तक चली इस बैठक में दोनों नेताओं ने सकारात्मक संकेत दिए, लेकिन ठोस परिणाम नहीं निकला।

बैठक के बाद साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस में पुतिन ने कहा कि दोनों पक्ष एक “समझ” पर पहुंचे हैं, जबकि ट्रंप ने इसे “बेहद फलदायी” बताते हुए कहा कि कई बिंदुओं पर सहमति बनी, लेकिन कुछ महत्वपूर्ण मुद्दे अभी बाकी हैं। यह 2019 के बाद दोनों नेताओं की पहली आमने-सामने मुलाकात थी, जिसने वैश्विक कूटनीति में हलचल मचा दी।
बैठक का विवरण और मुख्य बिंदु
बैठक का मुख्य उद्देश्य रूस-यूक्रेन युद्ध, जो फरवरी 2022 से जारी है, में तत्काल संघर्ष-विराम (सीजफायर) स्थापित करना और भविष्य की सुरक्षा व्यवस्था पर चर्चा करना था। ट्रंप ने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि वह बिना सीजफायर के संतुष्ट नहीं होंगे, जबकि पुतिन ने यूक्रेन की सैन्य गतिविधियों पर रोक को शर्त बताया था।
- प्रेस कॉन्फ्रेंस में ट्रंप: ट्रंप ने कहा, “हमारी बैठक बहुत उपयोगी रही। कई बिंदुओं पर सहमति बनी है। कुछ बड़े मुद्दे बाकी हैं, लेकिन एक महत्वपूर्ण मुद्दे को छोड़कर बाकी ज्यादा जटिल नहीं हैं। हमें लगता है कि हम उस तक पहुंच सकते हैं। मैं जल्द ही नाटो और राष्ट्रपति जेलेंस्की से बात करूंगा।” ट्रंप ने यह भी संकेत दिया कि जल्द ही दूसरी बैठक हो सकती है, जिसमें यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की शामिल हो सकते हैं।
- पुतिन का बयान: पुतिन ने कहा, “यूक्रेन की स्थिति रूस की सुरक्षा के लिए खतरा है। समझौते को स्थायी बनाने के लिए संघर्ष के मूल कारणों को खत्म करना होगा। हम यूक्रेन की सुरक्षा की गारंटी का स्वागत करते हैं। हम उम्मीद करते हैं कि कीव और यूरोपीय देश प्रगति में बाधा नहीं डालेंगे।” पुतिन ने ट्रंप के साथ सहमति जताते हुए कहा कि अगर ट्रंप 2022 में राष्ट्रपति होते, तो शायद युद्ध शुरू ही नहीं होता। उन्होंने ट्रंप को मॉस्को आने का न्योता भी दिया, जिस पर ट्रंप ने हल्के-फुल्के अंदाज में कहा, “मैं इसे होते हुए देख सकता हूं।”
- बैठक की संरचना: बैठक दो चरणों में हुई—पहले ट्रंप और पुतिन ने अपने-अपने दो सलाहकारों (ट्रंप के साथ विदेश मंत्री मार्को रुबियो और दूत स्टीव विटकॉफ; पुतिन के साथ विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव और सलाहकार यूरी उशाकोव) के साथ बंद कमरे में बातचीत की। इसके बाद विस्तारित चर्चा में अमेरिका की ओर से वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट, सीआईए प्रमुख हॉवर्ड लुटनिक, रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ, और रूस की ओर से वित्त मंत्री एंटोन सिलुआनोव व आर्थिक सलाहकार किरिल दिमित्रिएव शामिल हुए।
अलास्का में भव्य स्वागत और सुरक्षा
पुतिन का 10 साल बाद अमेरिकी धरती पर यह पहला दौरा था। उनके आगमन पर रेड कार्पेट बिछाया गया, और ट्रंप ने एयरफोर्स वन से उतरकर तालियों के साथ उनका स्वागत किया। दोनों नेताओं ने गर्मजोशी से हाथ मिलाया, और B-2 व F-22 लड़ाकू विमानों ने फ्लाईपास्ट किया। दोनों नेता ट्रंप की बख्तरबंद कार “द बीस्ट” में एक साथ बैठक स्थल गए।
एंकोरेज को अभेद्य किले में बदल दिया गया था। अमेरिकी सीक्रेट सर्विस और रूसी सुरक्षा बलों ने चप्पे-चप्पे पर नजर रखी। 300 किमी का इलाका नो-फ्लाई जोन घोषित किया गया, और बेस की इंटरनेट कनेक्टिविटी बंद कर साइबर सुरक्षा सुनिश्चित की गई। रूस ने भी अलास्का से 88 किमी दूर आनादिर में फाइटर जेट तैनात किए।
यूक्रेन युद्ध और भारत पर टैरिफ का जिक्र
बैठक का केंद्र रूस-यूक्रेन युद्ध रहा, जिसमें रूस ने 20% यूक्रेनी क्षेत्र पर कब्जा कर लिया है, खासकर डोनबास में। पुतिन ने क्राइमिया और चार अन्य क्षेत्रों पर नियंत्रण की मांग की, जबकि ट्रंप ने कहा कि क्षेत्रीय हस्तांतरण का फैसला यूक्रेन को करना है।
एयरफोर्स वन में पत्रकारों से बात करते हुए ट्रंप ने भारत पर भी टिप्पणी की, दावा किया कि रूस ने भारत जैसा बड़ा तेल ग्राहक खो दिया है, जो उसकी 40% तेल आपूर्ति खरीदता था। उन्होंने भारत पर लगाए गए 50% टैरिफ (25% पारस्परिक और 25% रूस से तेल खरीद के लिए, 27 अगस्त से लागू) का जिक्र करते हुए कहा कि और टैरिफ भारत के लिए “बेहद खराब” होंगे। भारत ने इन टैरिफ को “अन्यायपूर्ण” बताकर कड़ा विरोध जताया और कहा कि वह राष्ट्रीय हितों की रक्षा करेगा।
वैश्विक और सामाजिक प्रतिक्रिया
- यूक्रेन और यूरोप की चिंता: यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की को बैठक में शामिल न करना यूरोपीय सहयोगियों के लिए चिंता का विषय रहा। जेलेंस्की ने कहा कि बिना उनकी मौजूदगी के कोई फैसला अर्थहीन होगा। यूरोपीय नेताओं को डर है कि ट्रंप रूस के साथ सौदा कर यूक्रेन को दबाव में डाल सकते हैं।
- पुतिन की कूटनीतिक जीत: पुतिन का अमेरिकी धरती पर स्वागत और रेड कार्पेट ने उनकी अंतरराष्ट्रीय अलगाव की छवि को तोड़ा। रूसी प्रवक्ता मारिया जखारोवा ने इसे रूस की कूटनीतिक जीत बताया।
- सोशल मीडिया पर बहस: एक्स पर कुछ यूजर्स ने ट्रंप की पुतिन से मुलाकात को यूक्रेन पर दबाव बनाने की रणनीति बताया, जबकि अन्य ने इसे शांति की दिशा में कदम माना।
- विशेषज्ञों की राय: विशेषज्ञों का मानना है कि पुतिन ने इस बैठक से कूटनीतिक लाभ लिया, लेकिन बिना यूक्रेन की सहमति के कोई समझौता टिकाऊ नहीं होगा।
भविष्य की संभावनाएं
ट्रंप ने संकेत दिया कि वह जल्द ही जेलेंस्की और नाटो नेताओं से बात करेंगे, और दूसरी बैठक की योजना बन रही है, जिसमें जेलेंस्की शामिल हो सकते हैं। पुतिन ने मॉस्को में अगली बैठक का प्रस्ताव रखा, जिसे ट्रंप ने खारिज नहीं किया। हालांकि, रूस की डोनबास में प्रगति और यूक्रेन की नाटो सदस्यता पर उसकी आपत्ति समझौते में बड़ी बाधाएं हैं।