ऐतिहासिक और प्राचीन इमारतों का खजाना है छत्तीसगढ़ का ‘टेंपल टाउल’

छत्तीसगढ़ का ‘टेंपल टाउल’ कहा जाने वाला जिला अंबिकापुर काफी प्रसिद्ध स्थान है। यह स्थान यहां के सरजुगा जिले से काफी नजदीक पर स्थित है। इस जिले का नाम अंबिकापुर पड़ने की पीछे की वजह है वहां की देवी अंबिका जिनकी वहां पर काफी आस्था के साथ पूजा की जाती है। यहां पर कई ऐसे स्थान भी है जिनका इतिहास बहुत पुराना है। जिसके बारे में आप तभी अच्छे से जान पाएंगे जब आप वहां एक बार जाकर भ्रमण करेंगे। इस राज्य का यह जिला परिवहन माध्यम से काफी अच्छे से जुड़ा हुआ है। यहां पर शानदार स्थलों की कोई कमी नहीं है।

छत्तीसगढ़

महामाया मंदिर

महामाया मंदिर यहां के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। यह वहीं स्थान है जहां पर देवी सती का कोई अंग गिरा था। इस नाते यह स्थान काफी पवित्र है। यहां पर लोग दूर दूर से आते मां का आशीवार्द पाने के लिए। नवरात्रि के दिनों में यहां पर लोगों की भीड़ लगी रहती है। बाहर से आए लोग इस मंदिर की सुंदरता की तारीफ करते नहीं थकते हैं। इस मंदिर का निर्माण 1050 ईस्वी में हुआ था।

महामाया मंदिर

थिनथिनी पत्थर

अंबिकापुर के पर्यटन स्थलों की श्रृंखला में आप थिनथिनी पत्थर स्थल की सैर कर सकते हैं। यह स्थल रामगढ़ और सीता बेंगरा से आसानी से पहुंच सकते हैं। थिनथिनी एक बड़े आकार का रहस्यमयी पत्थर है, जिसपर किसी छोट पत्थर से चोट करने पर, ध्वनी गूंजती हुई सुनाई पड़ती है। स्थानीय लोगों को मानना है कि इस पत्थर में दैवीय शक्ति है। यह वजह है कि यहां रोजाना पर्यटकों का आना जाना लगा रहता है। यहां आने वाले आगंतुक पत्थर पर चोट कर ध्वनी को गुंजन को सुनते हैं।

थिनथिनी पत्थर

तातापानी

अंबिकापुर घूमने की शुरुआत आप यहां के गर्म पानी के कुड से कर सकते हैं। हम बात कर रहे हैं यहां के तातापानी की जो और कुछ नहीं एक गर्म पानी का कुड है। जिसका पानी साल भर खौलता रहता है। इस पानी की विशेषता है कि इस पानी में कई औषधीय गुण है जिसका इस्तेमास कई तरह की दवाओं को बनाने में किया जाता है। यहां पर अगर आप एक कपड़े में चावल बांधकर रख देते हैं तो कुछ ही देर में पानी से चावल पक जाएगा। इसी कारण यह स्थल पर्यटन में प्रिय स्थलों में शुमार है।

 

 

 

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