चीन के साथ बढ़ता भारत का व्यापार घाटा चिंता का विषय : सीआईटीआई

नई दिल्ली। कांफेडरेशन ऑफ इंडियन टेक्सटाइल इंडस्ट्री (सीआईटीआई) के अध्यक्ष संजय जैन ने शुक्रवार को कहा कि चीन के साथ भारत का भारी व्यापार घाटा चिंता का विषय है। उन्होंने बताया कि 2016-17 में चीन के साथ भारत का व्यापार घाटा 51.1 अरब अमेरिकी डॉलर था, जो 2017-18 में बढ़कर 62.9 अरब डॉलर हो गया।

व्यापार घाटा

सीआईटीआई द्वारा दिए गए आंकड़ों के अनुसार, 2017-18 में भारत का चीन के साथ द्विपक्षीय व्यापार 89.6 अरब डॉलर मूल्य रहा और भारत ने 2017-18 में 136.2 करोड़ डॉलर मूल्य का वस्त्र व परिधान चीन को निर्यात किया, जबकि भारत ने चीन से 290.5 करोड़ का कपड़ा व परिधान सामग्री आयात किया।

जैन ने कहा,”आयात-निर्यात के इन आंकड़ों से जाहिर होता है कि चीन के साथ हमारा व्यापार घाटा किस तरह बढ़ रहा है, क्योंकि सिर्फ कपड़ा व परिधान में हमारा चीन के साथ व्यापार घाटा बीते वित्त वर्ष में 154.3 करोड़ डॉलर का रहा है।”

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उन्होंने बताया कि 2010-11 से लेकर 2013-14 तक भारत कपड़ा व परिधान सामग्री के मामले में चीन से आयात कम और उसे निर्यात ज्यादा करता था। उन्होंने कहा कि कॉटन से बने यार्न, फेब्रिक व मेड अप्स के मामले में भारत चीन से कहीं ज्यादा प्रतिस्पर्धी है।

लेकिन वितयनाम, इंडोनेशिया, पाकिस्तान और कंबोडिया को चीन के बाजार में शुल्क मुक्त अपना सामान मिलने की इजाजत मिली हुई है, जबकि भारतीय यार्न, फेब्रिक और मेडअप पर चीन में क्रमश: 3.5 फीसदी, 10 फीसदी और 14 फीसदी आयात शुल्क लगता है।

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आयात शुल्क लगने से चीन के बाजार में भारतीय उत्पाद महंगे हो जाते हैं और वितयनाम, इंडोनेशिया, पाकिस्तान और कंबोडिया को इसका फायदा मिलता है। संजय जैन ने कहा कि अगर चीन में भारत को भी अन्य देशों की तरह शुल्क मुक्त व्यापार करने दिया जाए तो भारत अपना निर्यात दोगुना कर सकता है, जिससे चीन के साथ व्यापार घाटा कम करने में मदद मिलेगी। जैन ने इसके लिए केंद्र सरकार से चीन की सरकार के साथ बातचीत करने का आग्रह किया है।

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