आज का इतिहास:’ऑपरेशन पवन’ के हीरो और परमवीर चक्र विजेता मेजर ‘रामास्वामी परमेस्वरन’
भारत की धरती पर एक से बढ़कर एक वीर पैदा हुए हैं, जिन्होंने अपने जज्बे और साहस से देश का मान बढ़ाया है। ऐसे ही एक वीर थे मेजर रामास्वामी परमेस्वरन। ये वो योद्धा थे जिन्होंने श्रीलंका में विजय पताका फहराई और वीरगति को प्राप्त हुए। मेजर रामास्वामी परमेस्वरन श्रीलंका के ‘ऑपरेशन पवन’ में शहीद हो गए और उन्होंने भारत सरकार का युद्ध काल में दिया जाने वाला सर्वश्रेष्ठ सम्मान परमवीर चक्र प्राप्त किया।
13 सितंबर 1946 को जन्मे मेजर रामास्वामी परमेश्वरन ने 1972 में भारतीय सेना में महार रेजीमेंट में प्रवेश किया। श्रीलंका व भारत के बीच हुए अनुबंध के तहत भारतीय शांति सेना में वे श्रीलंका गए। 25 नवंबर 1987 की बात है, जब अपनी बटालियन के साथ एक गांव में गोला-बारूद की सूचना पर वे घेराबंदी के पहुंचे, लेकिन रात के वक्त किए गए इस सर्च ऑपरेशन में वहां कुछ नहीं मिला।
वापसी के समय एक मंदिर की आड़ लेकर दुश्मनों ने सैनिक दल पर फायरिंग शुरू कर दी और उनका सामना तमिल टाइगर्स से हुआ। तभी दुश्मन की एक गोली मेजर रामास्वामी परमेश्वर के सीने में लगी, लेकिन घायल होने के बावजूद मेजर लड़ाई में डटे रहे और बटालियन को निर्देश देते रहे। इस लड़ाई में मेजर के दल ने 6 उग्रवादियों को मार गिराया और गोला-बारूद भी जब्त किया, लेकिन सीने में लगी गोली के कारण वे वीरगति को प्राप्त हो गए। इस बहादुरी के लिए उन्हें परमवीर सम्मान दिया गया।
25 नवंबर 1 9 87 को, जब मेजर रामस्वामी परमान्स्वरन श्रीलंका में देर रात में खोज अभियान से लौट रहा था, उसके स्तंभ पर आतंकवादियों के एक समूह ने हमला किया। मन की अच्छी उपस्थिति के साथ, उन्होंने पीछे से उग्रवादियों को घेर लिया और उन पर आरोप लगाया, उन्हें पूरी तरह आश्चर्यचकित किया।
हाथ से हाथ से निपटने के दौरान, एक आतंकवादी ने उसे छाती में गोली मार दी। निर्विवाद, मेजर परमान्स्वरन ने आतंकवादी से राइफल को छीन लिया और उसे मार डाला। गंभीर रूप से घायल होकर, वह आदेश जारी रखता था और जब तक वह मर गया तब तक उसका आदेश प्रेरित था। पांच आतंकवादी मारे गए और तीन राइफलें और दो रॉकेट लांचर बरामद किए गए और हमला किया गया।
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13 सितम्बर की महत्वपूर्ण घटनाएँ