देश के इस मंदिर में आज भी जिंदा है पुरानी परंपरा, जहां महिला पंडित कराती हैं पूजा…

आपने मंदिरों में पुरुष को तो पूजा कराते देखा ही होगा लेकिन क्या आपने कभी किसी मंदिर में महिला को पूजा करते देखा है। नहीं ना! आज हम आपको एक ऐसे ही मंदिर की बात बताने जा रहे हैं जहां एक महिला सभी पूजा के विधि विधान करवाती है।

मंदिर

अहिल्यां के मंदिर में हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। ये मंदिर वहीं है, जहां भगवान राम ने अहिल्याम का उद्धार किया था। दरभंगा के कमतौल जिले में स्थित अहिल्या मंदिर में अनोखी परम्परा देखी गयी है। यहां श्रद्धालुओं का सुबह से ही तांता लगा रहता है। दर्शन करने आए श्रद्धालु सुबह से ही बैंगन का भार लेकर मंदिर पहुंचते हैं।

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वहां के लोगों का मानना है कि जिस प्रकार पत्थर बनी अहिल्या का उद्धार भगवान राम के चरणों से हुआ था ठीक उसी प्रकार इस मंदिर आकर लोगों के पाप धुल जाते हैं साथ ही उनका उद्धार होता है। गौतम ऋषि ने अपने श्राप से अहिल्या को पत्थर बना दिया था। जिस व्यक्ति के शरीर में अहिला होता है, वे रामनवमी के दिन गौतम और अहिल्या स्थान कुण्ड में स्नान कर अपने कंधे पर बैंगन का भार लेकर मंदिर आते हैं और बैंगन का भार चढ़ाते हैं तो उन्हें अहिला रोग से मुक्ति मिलती है। अहिला एक बीमारी है जो किसी भी उम्र में व्यक्ति को बाहरी हिस्से में हो जाती है।

महिला पंडित कराती हैं पूजा

यह मंदिर इसलिए भी काफी प्रसिद्ध है क्योंकि इस मंदिर में एकत महिला पूजा कराती है। आज भी यहां के आस-पास अहिल्या की पीढ़ी अवस्थित है। इस मंदिर में मांगी गई हर मनोकामना पूरी होती है। यहां बैंगन भार चढ़ाने की आज भी परंपरा है।

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