काश परिवार का पेट भरने वाले इन बच्चों का भी बचपन होता!

रिपोर्ट- पंकज श्रीवास्तव

गोरखपुर। कहा जाता है की बचपन हर गम से बेगाना होता है  लेकिन कुछ बच्चे ऐसे होते है जिन्होंने बचपन क्या होता है ये जाना ही नहीं। जी हाँ हम बात कर रहे है उन बच्चों की जिनको दो जून की रोटी कमाने के लिए दिन भर मौत से खेलना पड़ता है।

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रस्सी पर करतब दिखाने वाली गुड़िया जिसकी उम्र बच्चों के साथ खेलने कूदने और पढ़ने की है उस उम्र में गुड़िया ने अपने परिवार का पेट पालने का जिम्मा उठा रखा है क्योंकि इसके परिवार में और कोई काम करने वाला नहीं गुड़िया और इसकी माँ की माने तो ये करना इनकी मज़बूरी है  क्योंकि किसी भी सरकार ने इनपर कभी ध्यान ही नहीं दिया जिससे ये भी पनप सके। न घर और न रोजगार के साधन इसलिए मजबूरी में ये जान जोखिम में लेकर ये सब करते है।

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सर पर कई लोटे का बोझ लिए कभी सायकिल की रिम,और  कभी थाली में घुटनों के सहारे रस्सी पर इनको चलता देख लोगो को इनका करतब तो खूब भाता है लेकिन कही न कही इनकी मजबूरी उनको भी सालती है उनका कहना है की ये क्या करे आखिर पेट का जो सवाल है।

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