लखनऊ के इंडियन कॉफी हाउस की चुस्कियो के बीच तय होती थी यूपी की राजनिती, जानिए कुछ ऐतिहासिक किस्से

लखनऊ का कॉफ़ी हाउस आज भी शहर की एक ज़िंदा जगह है, जब भी कोई बुद्धिजीवी लखनऊ जाता है, उसकी एक बैठकी कॉफ़ी हाउस में ज़रूर होती है।

लखनऊ शहर का जब भी कभी इतिहास लिखा जाएगा तो उसका ज़िक्र एक लिबरल शहर के रूप में होगा । यह कॉफ़ी हॉउस इसका पहचान है, इसे हर कीमत पर बचाया जाना चाहिए ।

आपको बताते चले कि, अटल बिहारी वाजपेयी तो यहां अक्सर आया करते थे. मकड़ी के जालों से घिरी छत और लकड़ी की टूटी कुर्सियां उस दौर में कॉफी हाउस की पहचान हुआ करती थीं।

चार रुपये की होती थी कॉफी
कलाकार अनिल रस्तोगी ने बताया कि उस वक्त इस कॉफी हाउस की एक कॉफी 4 रुपये हुआ करती थी, जो अब 50 रुपये हो गई है, एक कॉफी लेकर लोग सुबह से लेकर शाम तक बैठे रहते थे।

उन्‍होंने बताया, ‘जब युवा थे तो यहां पर आकर देखते थे कि कौन-कौन बड़ी हस्ती दिग्गज लोग बैठे हुए हैं। अब उन्हें कॉफी हाउस की बुरी दशा देखकर दुख होता है’ वह उम्मीद करते हैं कि आने वाले वक्त में एक बार फिर यह इंडियन कॉफी हाउस अपनी खोई हुई पहचान को हासिल कर गुलजार होगा।

छात्र नेताओं का भी था अड्डा
सोशलिस्ट ओंकार सिंह बताते हैं कि बीते दौर की बात है जब किसी छात्र को लखनऊ विश्वविद्यालय में एडमिशन लेना होता था तो वे कॉफी हाउस छात्र नेताओं की मदद के लिए आते थे, क्योंकि ज्यादातर छात्र नेता यहां बैठा करते थे। साथ ही लखनऊ यूनिवर्सिटी की छात्र संघ चुनाव की पूरी रणनीति का खाका यही से तय होता था।

LIVE TV