
सुप्रीम कोर्ट ने देशभर में आवारा कुत्तों की बढ़ती समस्या पर बड़ा फैसला सुनाया है। जस्टिस विक्रम नाथ, संदीप मेहता और एनवी अंजारिया की बेंच ने शुक्रवार को सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिया कि शैक्षणिक संस्थानों, अस्पतालों, खेल परिसरों, बस अड्डों, रेलवे स्टेशनों और सरकारी दफ्तरों से आवारा कुत्तों को पूरी तरह हटाया जाए।
इन जगहों पर मजबूत घेराबंदी करनी होगी ताकि कुत्ते अंदर न घुस सकें। पकड़े गए कुत्तों को एनिमल बर्थ कंट्रोल रूल्स 2023 के तहत टीकाकरण और नसबंदी के बाद डॉग शेल्टर में भेजना होगा लेकिन उन्हें वापस उसी जगह पर कभी नहीं छोड़ा जाएगा क्योंकि इससे इन संस्थानों को कुत्ता मुक्त करने का मकसद ही विफल हो जाएगा।
कोर्ट ने डॉग बाइट के मामलों में खतरनाक बढ़ोतरी पर चिंता जताते हुए कहा कि संस्थानों में कर्मचारी कुत्तों को खाना खिलाकर उन्हें बढ़ावा देते हैं जिससे खतरा बढ़ता है। अब स्थानीय निकायों की जिम्मेदारी होगी कि नियमित निरीक्षण करें और कोई कुत्ता नजर आए तो तुरंत हटाएं। यह आदेश 28 जुलाई को मीडिया रिपोर्ट के आधार पर शुरू हुए सुओ मोटो केस में आया है जिसमें बच्चों पर हमले और रेबीज से मौतों का जिक्र था। अगली सुनवाई 13 जनवरी को होगी।
साथ ही कोर्ट ने राजस्थान हाईकोर्ट के अगस्त निर्देशों को पूरे देश में लागू करते हुए सभी राज्यों, एनएचएआई और नगर निकायों को आदेश दिया कि नेशनल हाईवे, स्टेट हाईवे और एक्सप्रेसवे से आवारा मवेशी व अन्य जानवर तुरंत हटाओ। संयुक्त सर्वे कर ऐसे इलाकों की पहचान करें, 24 घंटे हाईवे पेट्रोल टीम बनाओ और हेल्पलाइन नंबर हर जगह लगाओ। पकड़े गए मवेशियों को गौशाला या शेल्टर में भेजकर देखभाल करो ताकि सड़कें सुरक्षित रहें।





