उदयपुर की सभी सीटों पर वापसी को कमर कस रही कांग्रेस, आदिवासी बहुल क्षेत्र पर विशेष ध्यान

नई दिल्ल्ली| कांग्रेस उदयपुर जिले की सभी सीटों पर वापसी को कमर कस रही है, चूँकि ये एक आदिवासी बहुल क्षेत्र है तो यहां कांग्रेस ज्यादा ध्यान दे रही है। 2008 में हार के बाद 2013 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को जीत मिली थी।

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उदयपुर जिले की आठ विधानसभा सीटों में उदयपुर ग्रामीण विधानसभा आदिवासी बहुल क्षेत्र है। साल 1977 के परिसीमन में उदयपुर ग्रामीण विधानसभा बनाई गई और पहली बार चुनाव हुआ।

उदयपुर ग्रामीण विधानसभा संख्या 152 अनुसूचित जनजाति के लिए सुरक्षित सीट है। 2011 की जनगणना के अनुसार इस विधानसभा की कुल जनसंख्या 3,23,740 है जिसका 69.3 फीसदी हिस्सा ग्रामीण और 30.7 फीसदी हिस्सा शहरी है। वहीं कुल जनसंख्या का 50.1 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति है जबकि 4.95 फीसदी अनुसूचित जाती है। आदिवासीयों के बाद इस विधानसभा क्षेत्र में सबसे ज्यादा आबादी पटेल समाज की है।

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2017 की वोटर लिस्ट के अनुसार इस सीट पर मतदाताओं की संख्या 2,39,412 है, जबकि कुल 257 पोलिंग बूथ हैं। साल 2013 के विधानसभा चुनाव में उदयपुर ग्रामीण विधानसभा में 74.27 प्रतिशत मतदान हुआ था। जबकि 2014 लोकसभा चुनाव में इस विधानसभा में 68.67 प्रतिशत मतदान हुआ था।

2013 विधानसभा चुनाव में हुई थी हार 

साल 2013 के विधानसभा चुनाव में उदयपुर ग्रामीण विधानसभा सीट से बीजेपी के फूल सिंह मीणा ने कांग्रेस की विधायक और पू्र्व मंत्री खेमराज कटारा की कटारा की पत्नी सज्जन देवी कटारा को पराजित किया। बीजेपी के फूल सिंह मीणा को 78,561 वोट जबकि सज्जन देवी कटारा को 64797 वोट मिले थें।

2008 विधानसभा चुनाव में पाई जीत 

साल 2008 के विधानसभा चुनाव में पूर्व मंत्री खेमराज कटारा की पत्नी सज्जन देवी कटारा ने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ते हुए बीजेपी विधायक वंदना मीणा को शिकस्त दी। सज्जन देवी कटारा को 55494 वोट और वंदना मीणा को 44798 वोट मिले थे।

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