श्रीलंका की यूनिटी सरकार के भविष्य पर विशेष समिति करेगी फैसला

कोलंबो। श्रीलंका सरकार ने बुधवार को कहा कि उसने एकता (यूनिटी) सरकार के भविष्य का फैसला करने के लिए विशेष समिति नियुक्त की है। सरकार ने यह फैसला स्थानीय निकाय चुनाव में यूनिटी सरकार में शामिल दो पार्टियों के हारने के बाद लिया है।

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श्रीलंका सरकार

आवास मंत्री साजिथ प्रेमदासा ने कहा कि सत्तारूढ़ युनाइटेड नेशनल पार्टी (यूएनपी) और इसकी गठबंधन पार्टी श्रीलंका फ्रीडम पार्टी (एसएलएफपी) ने समिति गठित करने का निर्णय लिया है। इस संबंध में नेताओं को जल्द ही रिपोर्ट सौंपे जाएंगी।

प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे की अगुवाई वाली यूएनपी और राष्ट्रपति मैत्रीपाले सिरिसेना की अगुवाई वाली एलएलएफपी को 10 फरवरी को स्थानीय निकाय चुनाव में हार के बाद राजनीतिक अस्थिरता का सामना करना पड़ रहा है।

स्थानीय चुनाव में कुल 340 सीट में से केवल 10 सीटें जीतने वाली एसएलएफपी ने प्रधानमंत्री का इस्तीफा मांगा है जिनकी पार्टी यूएनपी ने चुनाव में 41 सीटें जीती हैं।

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दोनों पार्टियों को श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे की श्रीलंका पोदुजाना पेरामुना (श्रीलंका पीपुल्स फ्रंट) के हाथों हार का सामना करना पड़ा है। इस पार्टी ने 239 सीटें जीतकर शानदार कामयाबी हासिल की है।

चुनाव परिणाम के बाद से राजपक्षे नई सरकार के गठन के लिए संसदीय चुनाव कराने की मांग कर रहे हैं।

राष्ट्रपति के साथ बैठक में शामिल एसएलएफपी के मंत्रियों ने मंगलवार को कहा कि अगर विक्रमसिंघे इस्तीफा नहीं देते हैं तो यूनिटी सरकार आगे नहीं बढ़ेगी और हम नए प्रधानमंत्री को चुने जाने की दिशा में आगे बढ़ेंगे।

उप बंदरगाह मंत्री निशांथा मुथुहेट्टिगामा ने पार्टी बैठक के बाद पत्रकारों से कहा, “हमें नई संसद को आगे बढ़ाने के लिए नए प्रधानमंत्री की जरूरत है। हमें उम्मीद है कि राष्ट्रपति इस पर अगले दो दिनों में फैसला लेंगे।”

संसद में सबसे ज्यादा सीटों के साथ काबिज सत्तारूढ़ यूएनपी के सदस्यों ने कहा कि वे विक्रमसिंघे के साथ प्रधानमंत्री के तौर पर काम करना जारी रखेंगे और अगर एसएलएफपी यूनिटी सरकार का साथ छोड़ भी देती है तो भी हम सरकार बनाएंगे।

यूएनपी के एक कैबिनेट मंत्री ने सिन्हुआ न्यूज एजेंसी से कहा, “यूएनपी खुद अपनी सरकार बनाएगी और यह अगले संसदीय चुनाव तक चलेगी। हम इस देश को आगे ले जाएंगे।”

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