भ्रष्टाचारी बाबुओं के चलते चली गई छह लोगों की जान, अब चार विभाग पर जांच की जिम्मेदारी

अवनीश कुमार

लखनऊ। शहर की पहचान माना जाने वाला चारबाग और नाका लाक्षागृह बनता जा रहा है। चारबाग इलाके में महज डेढ़ किलोमीटर के दायरे में 450 से ज्यादा होटल हैं, जिनमें से करीब 200 अवैध हैं। संकरी गलियों में बने तमाम होटलों पर कभी करवाई नहीं हुई।

एलडीए

लखनऊ विकास प्राधिकरण समेत कई विभागों ने भी अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ते रहे और भ्रष्टाचार में लिप्त रहे। नतीजा होटल अग्निकांड में कई लोगों की जान चली गयी।

लखनऊ में हुए होटल अग्निकांड में कइयों की जान चली गई। हादसे के बाद 4 अलग-अलग विभाग जांच में जुट गए हैं। शुरुआती जांच के मुताबिक, घर का नक्शा पास कराकर एसएसजे इंटरनेशनल होटल बना था।

वहीं विराट होटल का न तो नक्शा पास था, न ही उसके पास फायर विभाग की एनओसी थी। सरकारी भ्रष्टाचार और मनमानी का आलम ये है कि चारबाग इलाके में महज डेढ़ किलोमीटर के दायरे में 450 से ज्यादा होटल हैं, जिनमें से करीब 200 अवैध बताए जाते हैं।

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राजधानी में सरकारी-गैर सरकारी काम, व्यापार, घूमने, भर्ती परीक्षा देने वाले सब आते हैं। और जेब के मुताबिक इन्हीं गलियों में कमरा ढूंढते हैं। कईयों की जेब में दम नहीं होता। इसलिए मुर्गी के दड़बे सरीखे होटलों में रुकते हैं।

मुनाफे का खेल ऐसा है कि होटल व्यापारी भी तमाम सरकारी विभागों को सेट करके एनओसी ले लेते हैं और होटल चलाते हैं। वहीं, कुछ बगैर एनओसी के घर के नक्शे पर होटल चलाते हैं।

बीते मंगलवार को ऐसे ही दो होटलों ने कई लोगों की जान ले ली। अब 4 विभाग इसकी जांच कर रहे हैं, इसमें पहली जांच मजिस्ट्रियल जांच है, जिसे सिटी मजिस्ट्रेट विवेक श्रीवास्तव कर रहे हैं।

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वहीं, दूसरी जांच एलडीए का रहा है, जो दोनों होटलों के नक्शे, जमीन के आवंटन और एनओसी चेक करेगा। लखनऊ विकास प्राधिकरण के सचिव मंगला प्रसाद सिंह बताते हैं कि होटल ने नक्शा पास कराया की नहीं। इसकी जाँच चल रही है। लेकिन अवैध होटलों को रोकने की जिम्मेदारी प्रशासन की भी है।

लखनऊ विकास प्राधिकरण के सचिव कुछ भी कहें लेकिन अवैध निर्माण को रोकने की जिम्मेदारी एलडीए की होती है और इसके लिए एक बड़ी कर्मचारियों की फौज भी एलडीए के पास है। अब सवाल उठता है की जब कर्मचारी और अधिकारी भ्रष्टाचार में लिप्त हों, तो अवैध भी वैध दिखने लगता है। जब कोई कांड होता है, तो अभियान चलकर खानापूर्ति कर दी जाती है और धीरे-धीरे मामला ठन्डे बस्ते में चला जाता है।

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