शिव मंदिर में आप भी बजाते हैं ताली तो भुगतना पड़ सकता है दुष्परिणाम

ताली बजाकरजब कुछ भी अच्छा होता है तो हम खुशी से ताली बजाकर उसका स्वागत करते हैं. ताली बजाना स्वास्थ्य की नजर में बहुत ही फायदेमंद होता है. साथ ही अध्यात्म में इसे मन की शांति से जोड़ा गया है. ताली बजाने से कई फायदे होते हैं. धार्मिक की दृष्टि से पूजा विधियों में, खासकर आरती के दौरान भी हम ताली बजाते हैं. ऐसा माना जाता है कि आरती के समय ताली बजाने से व्यक्ति के हाथों से बुरी रेखाएं मिटने लगती हैं और अच्छी रेखाओं का निर्माण होता है. कई मंदिरों में पूजा के वक्त या भजन-कीर्तन के समय ताली बजाई जाती है. लेकिन भगवान शिव के मंदिर में ताली बजाना हानिकारक साबित हो सकता है.

पूजा के दौरान भगवान से प्रार्थना करते हुए मनोकामना पूर्ति के लिए ताली बजाने का खास महत्व माना जाता है. भगवान शिव की पूजा में शिवलिंग पर जल अर्पण और पूजा समाप्ति के बाद ताली बजाई जाती है. ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव के मंदिर में पूजा करते समय भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं. लेकिन एक ऐसा समय होता है जब आपकों ताली बजाने का दुष्परिणाम भुगतना पड़ सकता है.

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दिन के कुछ विशेष समय शिव मंदिर में पूजा करते हुए कभी भी ताली नहीं बजानी चाहिए, वरना मनोकामना पूर्ण होने की बजाय आपको भगवान के कोप का भाजन होना पड़ सकता है. हो सकता है कि अचानक मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़े.

शास्त्रों क अनुसार, भगवान शिव ध्यान में लीन होते हैं. ताली बजाने से उनके ध्यान की अवस्था में विघ्न पैदा होता है, इसलिए उनके गण इससे रुष्ट हो जाते हैं और व्यक्ति को उनके कोप स्वरूप मुसीबतों का सामना करना पड़ता. इसलिए शिव मंदिर में केवल संध्याकाल की आरती के दौरान ही ताली बजानी चाहिए.

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