उत्तराखंड में रजिस्ट्री-रेत-बजरी-लकड़ी महंगी होगी

टैक्सदेहरादून। राज्य सरकार ने कर्मचारियों को सातवें वेतनमान का एरियर, दिवाली बोनस और महंगाई भत्ता जैसे अनेक गिफ्ट दिए हैं, उधर आम जनता के ऊपर भारी बोझा भी लाद दिया है। गुरूवार को कैबिनेट में कांग्रेस सरकार में जमीन की रजिस्ट्री और रेत-बजरी और लकड़ी की खरीद-फरोख्त पर जो छूट दे रखी थी, उसे अब खत्म करने का फैसला लिया है।

गुरुवार को कैबिनेट ने इन रजिस्ट्री के एग्रीमेंट और वन उपज निकासी के चलती कीमत को बंद करते हुए पूर्व की व्यवस्था लागू कर दी है। सरकारी प्रवक्ता मदन कौशिक के मुताबिक इस फैसले से सरकार को 50 करोड़ रुपये से ज्यादा का राजस्व मिलेगा। भूमि खरीदने पर होने वाले रजिस्ट्री के एंग्रीमेंट पर सबसे पहले संपत्ति की कीमत का 2 स्टांप फीस देना होता था।

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हांलाकि दून के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने वर्ष 2015 में इस व्यवस्था को खत्म करते हुए केवल एक हजार रुपये के स्टांप पर रजिस्ट्री एग्रीमेंट करने की व्यवस्था लागू की थी। सरकारी प्रवक्ता के मुताबिक इस व्यवस्था के लागू होने के बाद राज्य को 14 करोड़ रुपये का नुकसान भुगतना पड़ा है।

अगर आप अब रजिस्ट्री कराते हैं तो रजिस्ट्री एग्रीमेंट पर पूर्व की तरह दो फीसदी स्टांप शुल्क पेय करना  होगा। पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने इमारती लकड़ी, वन उपज और रेत-बजरी आदि की निकासी पर छूट दी थी और प्रति टन के स्थान पर सिर्फ 15 रुपये प्रति टन शुल्क ही लागू किया था।

गुरुवार को कैबिनेट ने एक बार फिर पूर्व की व्यवस्था लागू कर दी। पूर्ववर्ती सरकार के कार्यकाल में राज्य के राजस्व को नुकसान पहुंचाने वाले फैसलों में कई बार रद्धो बदल किए गए थे। जिससे राज्य को काफी हद तक नुकसान हुआ है। लिहाजा इन्हें निरस्त करते हुए पूर्व की व्यवस्था लागू करने का निर्णय किया गया है।

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