सांवलेपन को बीमारी बताना पतंजलि को पड़ा महंगा, ब्यूटी क्रीम के चक्कर में फंस गए रामदेव

बाबा रामदेवनई दिल्ली। योग गुरु बाबा रामदेव इन दिनों अपने योग की वजह से नहीं बल्कि पतंजलि प्रोडक्ट्स की वजह से भी चर्चा में दिखाई देते हैं। हों भी क्यों न… आखिर देखते ही देखते एक योग गुरु से करोंड़ों के प्रोडक्ट पैदा करने वाली कंपनी के ‘ब्रांड एम्बेसडर’ जो बन चुके हैं। इस कंपनी में तेल से लेकर साबुन तक सबकुछ बनाया जाता है। वो भी प्राकृतिक चीजों के इस्तेमाल से। ये तो बात रही उनके फेम की, लेकिन इन दिनों बाबा जी जिस वजह से चर्चा में हैं, वो वजह है उनकी पतंजलि ब्यूटी क्रीम।

नहीं समझे… दरअसल इस क्रीम के विज्ञापन में झुर्रियों और कील मुंहासों की तरह सांवलेपन को भी एक बीमारी की तरह दर्शाया और बताया गया। इसके चलते रामदेव की जनता ने कड़ी आलोचना की। साथ ही उनके इस विज्ञापन के साथ सोशल मीडिया पर ट्रोल भी किया गया।

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मामला बढ़ता देख योग गुरु ने अपनी सफाई दी और इसे ट्रांसलेशन और कॉपी राइटिंग की खामी करार दिया।

उनका कहना है कि कुछ लोग जान बूझकर विवाद पैदा कर रहे हैं जबकि मसला ट्रांसलेशन और कॉपी राइटिंग में गलती का है। बाबा रामदेव ने सोशल मीडिया पर लिखा है।

उन्होंने कहा, “हमने Skin Complications (त्वचा के विकार), शब्द approve किया था जो translation/copy-writing में ग़लती से बदल गया।”

योग गुरु का कहना है, “मैंने कभी रंग-भेद की बात नहीं की और हमेशा क़ुदरती सौंदर्य को निखारने के आयुर्वेदिक उपाय बताये हैं। कुछ लोग एक शब्द को पकड़ कर विवाद पैदा करने का प्रयास कर रहे हैं।”

इस विज्ञापन में यह भी दावा किया गया है कि पतंजलि ब्यूटी क्रीम के इस्तेमाल से न केवल रंग निखरता है बल्कि उपभोक्ता के आत्मविश्वास में भी 100 फीसदी की बढ़ोत्तरी होती है। सोशल मीडिया पर तीखी आलोचना झेलने के बाद बाबा रामदेव ने यह सफाई दी है।

गौरतलब है कि पतंजलि के इस विज्ञापन में लिखा है, “गेहूं के बीज के तेल, हल्दी, एलोवेरा और तुलसी आदि के गुणों से युक्त यह क्रीम ड्राई स्किन, सांवले रंग और झुर्रियों जैसी स्किन की बीमारियों के लिए बेहद लाभकारी है। पतंजलि ब्यूटी क्रीम कोई आम क्रीम नहीं है, बल्कि यह एक स्किन नौरिशमेंट टॉनिक और ट्रीटमेंट है। यह आपको 100 प्रतिशत प्राकृतिक खूबसूरती का आत्मविश्वास देता है। खुद इस्तेमाल करें और अपने परिवार और दोस्तों को भी इसके बारे में बताएं।”

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पतंजलि के विज्ञापन पर कई यूजर्स ने प्रतिक्रिया दी है और सीधे बाबा रामदेव पर तंज कसते हुए लिखा है कि सभी मल्टीनेशनल कंपनियों की तरह आपकी कंपनी भी लोगों में रंगभेद और हीनभावना पैदा कर कारोबार करना चाहती है, जबकि सभी जानते हैं कि सांवलापन बीमारी नहीं है। कुछ ने तो विज्ञापन लिखने वाले को भी निशाने पर लिया है।

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