उत्तराखंड के अस्पतालों में रेडिएशन का खतरा

रेडिएशनदेहरादून। सूबे के अधिकतर सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों में मरीजों की जान से खिलवाड़ हो रहा है। विकिरण फैलाने वाली मशीनें जैसे एक्स-रे और सीटी स्कैन जिससे मरीज़ और उनके परिवार वाले सभी इस खतरनाक रेडिएशन की चपेट में आ रहे हैं। सूबे के सभी अस्पतालों को परमाणु ऊर्जा नियामक बोर्ड द्वारा निर्देश में कहा गया है, कि जिन मशीनों से रेडिएशन निकलने से मरीजों को नुकसान पहुंच रहा है। उस तरह की  मशीनों का जल्द का जल्द पंजीकरण कराया जाए।

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पंजीकरण न होने पर एटॉमिक एनर्जी रेगुलेटरी बोर्ड ने दून, मसूरी और ऋषिकेश में कई अस्पतालों की एक्सरे और मेमोग्राफी मशीनों को सील भी किया गया। मानकों के मुताबिक बोर्ड की इजाज़त के बाद ही अब अस्पतालों में मशीनें लगाई जाएंगी। जबकि प्रदेश में ऐसा नहीं हो रहा है। स्वंय सरकार ही इसमें शामिल है। क्योंकि खुद सरकार ही ऐसी कंपनियों से मशीनें खरीद रही हैं, जिनके पास परमाणु ऊर्जा नियामक बोर्ड का लाइसेंस तक नहीं है।

रेडिएशन से गंभीर बीमारियों का खतरा

स्वास्थ्य सलाहकार नवीन बलूनी ने बताया कि जिन अस्पतालों में लगी मशीनें परमाणु ऊर्जा नियामक बोर्ड में पंजीकृत नहीं हैं उन मशीनों का परीक्षण कराया जा रहा है। इस तरह की खतरनाक मशीनों से निकलने वाले रेडिएशन से ब्लड कैंसर, ल्यूकेमिया, हृदय संबंधी रोग, हड्डियों में विकार के साथ ही कई गंभीर आनुवांसिक जैसी कई घातक बीमारियों का खतरा रहता है। यह बीमारी जांच कराने वाले मरीज के अलावा जांच करने वाले स्टॉफ और परिजनों को भी अपनी चपेट में ले लेती है। विकिरण मैनेजमेंट दुरूस्त न होने से पूरा अस्पताल परिसर भी विकिरण की चपेट में आ सकता है।

परमाणु ऊर्जा नियामक बोर्ड के वैज्ञानिक अजीत सिंह ने कहा कि मरीजों की एक्स-रे संबंधी जांच, परमाणु ऊर्जा नियामक बोर्ड से एप्रूव्ड अस्पतालों में ही होनी चाहिए। ऐसे हर अस्पताल का बोर्ड में पंजीकरण जरूरी है। हालांकि उत्तराखंड के ऐसे तमाम अस्पताल हैं जिनका अभी पंजीकृत नहीं हुआ है। जिन अस्पतालों को पंजीकरण नही है उनको जल्द से जल्द पंजीकरण कराने को कहा गया है।

डॉक्टर की सलाह पर ही कराएं जांच

लाइसेंस और पंजीकरण न होने पर जेल और अर्थदंड का प्रावधान हैरेडिएशन के दुष्प्रभावों से बचने के लिए मरीजों को भी सावधानी बरतनी चाहिए। जरूरी होने पर डॉक्टर की सलाह पर ही जांच कराएं। जिस हिस्से की जांच के लिए कहा गया हो उसी की जांच कराएं। छोटे बच्चों और गर्भवती महिलाओं को एक्स-रे या अन्य विकिरण संबंधी जांचों से दूर रखना बहुत जरूरी हैं।

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