अमेरिका में भारतीय शोधकर्ताओं की वाहवाही, कैंसर बायोमार्कर की पहचान के लिए हुए पुरस्कृत

वाशिंगटन| अमेरिकी राष्ट्रीय कैंसर संस्थान ने मिशिगन विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अरुल चिन्नैयां को ‘आउटस्टैंडिंग इन्वेस्टीगेटर अवॉर्ड’ प्रदान किया है और कैंसर के निदान में सुधार व नए उपचार के विकास के लिए बायोमार्कर की पहचान के लिए सात साल के वित्त पोषण के लिए 65 लाख डॉलर की राशि दी है। चिन्नैयां ने सोमवार को एक बयान में कहा, “आंकोलॉजी का क्षेत्र कैंसर रोगियों के बढ़ने के साथ उन्हें नैदानिक और बेहतर उपचार देने के लक्ष्य के साथ विकसित हो रहा है।”
अमेरिका में भारतीय शोधकर्ताओं की वाहवाही, कैंसर बायोमार्कर की पहचान के लिए हुए पुरस्कृत
उन्होंने कहा, “यह अनुदान हमें नए बायोमार्करों की खोज व कैंसर की वृद्धि में उनकी जैविक भूमिका में समझने में मदद देगा।”

कैंसर के जानकार चिन्नैयां ने 2010 में मिशिगन ऑकोलाजी सिक्वेंसिंग (एमआई-ओएनसीओएसईक्यू) कार्यक्रम शुरू किया।
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एमआई-ओएनसीएसईसीयू, मेटास्टैटिक कैंसर और सामान्य ऊतक के डीएनए और आरएनए को एक व्यवस्थित क्रम में करने के लिए एक शोध प्रोटोकॉल है, जो उन बदलाव की पहचान करने के लिए है, जिससे इलाज में मदद मिल सकती है।

इस कार्यक्रम में एक सटीक ट्यूमर औषधि बोर्ड भी शामिल है, जिसमें विशेषज्ञ हर मामले पर चर्चा करते हैं।

चिन्नैयां की प्रयोगशाला में जीनोम के एक भाग का भी विश्लेषण किया गया है, जिसे पहले अच्छी तरह से नहीं खोजा गया था।

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