भारत में एसी तापमान पर नए नियम की तैयारी, इतनी डिग्री सेल्सियस की सीमा तय करेगी सरकार

केंद्र सरकार भारत में बिजली की खपत कम करने के लिए एयर कंडीशनर (एसी) के तापमान को 20 डिग्री सेल्सियस (न्यूनतम) और 28 डिग्री सेल्सियस (अधिकतम) तक सीमित करने वाला नया नियम लाने की योजना बना रही है।

केंद्रीय ऊर्जा मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने 10 जून 2025 को दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि यह मानक घरों, दफ्तरों, और वाहनों में इस्तेमाल होने वाले सभी एसी पर लागू होगा। इसका उद्देश्य ऊर्जा बचत, ग्रिड पर बोझ कम करना, और कोयला-आधारित बिजली उत्पादन से होने वाले प्रदूषण को नियंत्रित करना है।

नए नियम: सरकार जल्द ही एसी के तापमान को 20-28 डिग्री सेल्सियस के बीच मानकीकृत करने का नियम लागू कर सकती है। यह नियम रिहायशी और वाणिज्यिक दोनों क्षेत्रों पर लागू होगा। एसी निर्माताओं को अपने उत्पादों में हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर बदलाव करने होंगे, ताकि उपभोक्ता 20 डिग्री से कम या 28 डिग्री से अधिक तापमान सेट न कर सकें। वर्तमान में, बाजार में उपलब्ध एसी 16-18 डिग्री तक न्यूनतम और 30 डिग्री तक अधिकतम तापमान सेटिंग की अनुमति देते हैं।

ऊर्जा बचत का प्रभाव:

  • बिजली की बचत: ब्यूरो ऑफ एनर्जी एफिशिएंसी (BEE) के अनुसार, एसी का तापमान प्रति डिग्री बढ़ाने से 6% ऊर्जा बचती है। उदाहरण के लिए, 16 डिग्री से 20 डिग्री पर सेटिंग बदलने से 24% ऊर्जा की बचत हो सकती है।
  • ग्रिड पर राहत: पावर सेक्रेटरी पंकज अग्रवाल के मुताबिक, न्यूनतम 20 डिग्री की सीमा से गर्मियों में 3 गीगावॉट तक बिजली बचाई जा सकती है, जिससे ग्रिड पर दबाव कम होगा।
  • दीर्घकालिक लाभ: यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया, बर्कले की एक स्टडी के अनुसार, 2035 तक इस नियम से 60 गीगावॉट बिजली बच सकती है, जिससे 88 अरब डॉलर (लगभग 7.5 लाख करोड़ रुपये) के नए बिजली संयंत्रों और ग्रिड सिस्टम की लागत बचेगी।

उपभोक्ताओं पर असर:

  • तापमान सीमा का प्रभाव: उपभोक्ता 20 डिग्री से कम ठंडा या 28 डिग्री से अधिक गर्म सेटिंग नहीं कर पाएंगे। BEE के अनुसार, 24-25 डिग्री सेल्सियस अधिकांश लोगों के लिए आदर्श आरामदायक तापमान है।
  • जागरूकता की कमी: कई लोग मानते हैं कि 16-18 डिग्री पर एसी तेजी से कमरा ठंडा करता है और ठंडक लंबे समय तक रहती है। लेकिन थर्मोडायनामिक्स के अनुसार, कम तापमान सेट करने से केवल ऊर्जा खपत बढ़ती है, न कि ठंडक की गति। उदाहरण के लिए, 36 डिग्री के कमरे को 16 डिग्री तक ठंडा करने में अधिक समय और बिजली लगती है, जबकि 20 डिग्री पर जल्दी और कम खपत में संतुलित ठंडक मिलती है।
  • लंबे समय तक ठंडक: कम तापमान सेटिंग से कमरा जरूरत से ज्यादा ठंडा होता है, जिससे कंप्रेसर पर दबाव पड़ता है और बिजली खपत बढ़ती है। 20 डिग्री पर एसी कम दबाव में समान ठंडक बनाए रखता है, जिससे ऊर्जा और उपकरण दोनों की दक्षता बढ़ती है।

वैश्विक मानक: भारत का प्रस्तावित नियम वैश्विक मानकों के अनुरूप है। कई देशों में समान दिशा-निर्देश या कानून लागू हैं:

  • जापान: दफ्तरों में 28 डिग्री की सलाह, कर्मचारियों को हल्के कपड़े पहनने की अनुमति।
  • स्पेन: गर्मियों में 27 डिग्री से कम सेटिंग पर प्रतिबंध।
  • दक्षिण कोरिया: सियोल में जून-सितंबर तक 26 डिग्री से कम सेटिंग गैरकानूनी।
  • सिंगापुर: 25 डिग्री या अधिक की सलाह, ऊर्जा संरक्षण के लिए आंदोलन।
  • अमेरिका: ऊर्जा मंत्रालय 25 डिग्री की अनुशंसा करता है, लेकिन यह स्वैच्छिक है।
  • चीन: गर्मियों में 26 डिग्री से कम और सर्दियों में 20 डिग्री से अधिक सेटिंग की सलाह।

चुनौतियां और भविष्य:

  • निर्माताओं की जिम्मेदारी: एसी कंपनियों को डिजाइन बदलना होगा, जिससे शुरुआती लागत बढ़ सकती है।
  • उपभोक्ता प्रतिक्रिया: कुछ उपभोक्ता 20 डिग्री की न्यूनतम सीमा को गर्मी में असहज मान सकते हैं, जिसके लिए जागरूकता अभियान जरूरी होंगे।
  • पर्यावरणीय लाभ: कोयला आधारित बिजली पर निर्भरता कम होने से ग्लोबल वार्मिंग और प्रदूष पर सकारात्मक असर पड़ेगा।
LIVE TV