बिहार की सियासत में सोशल मीडिया ने मचा रखा है घमासान, शब्दों के फेर में उलझे राजनीतिक दल

पटना। देश में इंटरनेट के बढ़ते प्रभाव से बिहार की राजनीति भी अछूती नहीं रही है। बिहार में सभी प्रमुख दल के नेता आज सोशल मीडिया के जरिए ही न केवल अपनी बातें लोगों तक पहुंचा रहे हैं, बल्कि नेताओं के बीच आरोप-प्रत्यारोप भी चल रहा है।

सुशील मोदी

बिहार की स्थिति यह हो गई है कि एक-दो दलों के नेता सुबह होते ही अपनी बात सोशल मीडिया फेसबुक और ट्विटर पर रख देते हैं और शाम तक यह सियासी मुद्दा बन जाता है।

सोशल मीडिया के जानकार भी कहते हैं कि इसका इस्तेमाल करने वालों में अधिकतर युवा लोग हैं और जाहिर है युवाओं तक पहुंचने के लिए हर संगठन और संस्थान इंटरनेट, सोशल मीडिया का सहारा ले रहा है।

बिहार में सत्ताधारी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन में शामिल जनता दल (युनाइटेड) के प्रवक्ता इन दिनों अपने विरोधियों पर निशाना साधने तथा सरकार की बातें लोगों तक पहुंचाने के लिए सोशल मीडिया का बेहतरीन इस्तेमाल कर रहे हैं।

जद (यू) के प्रवक्ता नीरज कुमार कहते हैं, “हाल में विरोधियों ने बिहार में नकारात्मक राजनीति प्रारंभ की थी, जिसका जवाब हम लोगों को भी देना आवश्यक हो गया था।”

वे कहते हैं, “विपक्ष के नेता सुबह होते ही सोशल मीडिया पर बिहार की छवि बदनाम करने की मुहिम प्रारंभ कर देते हैं, जिसका काउंटर तो करना ही था। पिछले दिनों पार्टी के प्रशिक्षण कार्यक्रम में भी इन बातों को जिक्र किया गया था।”

उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया को लेकर आज लोग आकर्षित हैं और अपनी बात रखने का माध्यम भी है। ऐसे में पार्टी भी सोशल मीडिया के जरिए अपनी बात रखती है।

इधर, राजद के अध्यक्ष लालू प्रसाद सहित बिहार के अधिकतर नेता पूर्व में सोशल मीडिया को बिहार जैसे राज्य में कम प्रासंगिक मानते थे और इसके उपयोग पर चुटकी लेते थे। लेकिन हाल के दिनों में फेसबुक और ट्विटर के बढ़ते प्रभाव ने इन नेताओं को सोशल मीडिया के अखाड़े में आने को विवश कर दिया।

चारा घोटाले में सजा पाने के पूर्व लालू प्रसाद सोशल मीडिया पर ज्यादा सक्रिय रहने वाले नेताओं में से एक थे। हालांकि राजद के नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव, तेजप्रताप यादव, मीसा भारती, मनोज झा, संजय यादव आज सक्रिय होने वाले नेताओं में शामिल हैं। ये नेता तमाम मसलों पर ट्विटर पर अपनी राय देते हैं, हर दिन सक्रिय रहते हैं।

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी ट्विटर पर सक्रिय हैं, यही कारण है कि उनको फॉलो करने वालों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। भाजपा नेता सुशील मोदी फेसबुक और ट्विटर दोनों पर सक्रिय हैं। भाजपा नेता और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह, राजीव प्रताप रूडी, प्रदेश अध्यक्ष नित्यानंद राय भी ट्विटर पर सक्रिय हैं। कांग्रेस के नेता प्रेमचंद्र मिश्रा भी अपनी पार्टी की बात सोशल मीडिया के जरिए लोगों तक पहुंचाते हैं।

ऐसे में आगामी चुनावों में इन नेताओं के सोशल साइटों पर और सक्रिय होने के संकेत मिल रहे हैं। सूत्र भी कहते हैं कि बिहार के तमाम राजनीतिक दल सोशल मीडिया से अपनी चुनावी रणनीति को कारगर बनाने के लिए इसके अनुभवी लोगों का भी सहारा ले रहे हैं।

राजद के नेता शिवानंद तिवारी कहते हैं कि आज अप्रत्यक्ष रूप से मीडिया पर सरकारी नियंत्रण के कारण सोशल मीडिया का चलन बढ़ा है। उन्होंने स्पष्ट कहा कि यह सत्य है कि इसके नकारात्मक पहलू भी हैं, परंतु लोगों तक अपनी बात पहुंचाने और लोगों से बातचीत करने का यह उचित माध्यम बन गया है।

इधर, पटना के एक वरिष्ठ पत्रकार संतोष सिंह कहते हैं कि सोशल मीडिया के आने के बाद नेताओं को अपना एक एजेंडा सेट करने की सहूलियत मिल गई है, यही कारण है कि सुबह कई नेता अपनी बात ट्विटर पर लिख देते हैं।

वे कहते हैं, “ट्विटर, फेसबुक पर नेताओं की लिखी बात को मीडिया भी स्वीकार करती है, इस कारण करीब सभी दल के नेता सोशल मीडिया पर सक्रिय हुए हैं।”

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सिंह कहते हैं कि इसमें नेताओं को उनके बयानों को पत्रकारों द्वारा तोड-मरोडकर पेश करने की आशंका भी कम होती है। उन्होंने कहा कि आज सोशल साइटों की पकड़ इतनी हो गई है कि नेताओं के फॉलोवर्स से उस नेता की लोगों में पकड़ को आंका जाना लगा है।

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बहरहाल, इतना तय है कि आने वाले समय में बिहार में सोशल मीडिया पर नेताओं के आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला और बढ़ने की उम्मीद हैं।

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