औंधे मुह गिरीं कच्चे तेल की कीमतें, जनता को मिल सकता है बड़ा तोहफा

नई दिल्ली। पेट्रोल और डीजल की बढती कीमतें जनता के लिए परेशानी का सबब बनी हुई हैं। बढ़ती कच्चे तेल कीमतें देश में हाहाकार मचा रही हैं। सरकार लगाम लगाने में असक्षम दिखाई पड़ रही है। पीएम नरेंद्र मोदी ने साल 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में पेट्रोल और डीजल की कीमतों को बड़ा मुद्दा बनाया था और यूपीए सरकार को इस पर जमकर घेरा था।

कच्चे तेल की कीमतें

इसके बाद जब पीएम मोदी ने 26  मई को पीएम पद की शपथ ली तो दिल्ली में पेट्रोल 71.41 रुपये प्रति लीटर और डीजल 56.71 रुपये प्रति लीटर था। इसके बाद अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत गिरने लगीं जिससे पेट्रोल और डीजल के दाम भी घट गए।

दाम बढने के पीछे असली वजह यह है कि तीन सालों के दौरान सरकार ने पेट्रोल, डीजल पर एक्साइज ड्यूटी कई गुना बढ़ा दी थी जिसके कारण पेट्रोल पर ड्यूटी 10 रुपये लीटर से बढ़कर करीब 22 रुपये हो गई थी।

इस समय पेट्रोल की दर तीन साल के अपने उच्च स्तर पर है। पेट्रोल कीमतों में प्रतिदिन मामूली संशोधन होता है लेकिन अब अंतर्राष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतों में आ रही तेजी पर लगाम लगने की सुगबुगाहट तेज हो गयी है। यूएस में कच्चे तेल का उत्पादन बढ़ा है साथ ही दुनिया भर में मांग घटने से अचानक दिसम्बर महीने के बाद कीमते 10 फीसदी कम हो चुकी हैं।

अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में लगातार गिरावट का दौर जारी है। कीमतें घटकर 62 डालर प्रति बैरल तक आने की आशंका जताई जा रही है।

विशेषज्ञों की माने तो आसमान छूती तेल की कीमतों में भारी गिरावट का अनुमान है जिससे महंगाई पर नियंत्रण पाने में भी कामयाबी मिलेगी।

कीमतों को लेकर मिल रहे रुझानो के द्वारा मोदी सरकार को बैलेंस शीट सुधारने का मौका मिल सकता है जोकि कीमत 80 डालर के पार जाने की आशंका से अधर में लटकी हुई थी।

आयल मिनिस्टर धर्मेन्द्र प्रधान ने कहा कि हम सऊदी अरब और अमेरिका से कीमते कम करने की अपील करेंगे जिससे देश की जनता का भार कम हो।

भारत सरकार की इस अपील को मानने की दशा में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में भारी कमी दर्ज की जा सकती है जिससे जनता की जेब पर पड़ने वाले बोझ को आधा करने की सरकार के वादों को जमीनी हकीकत देने में मदद मिलने के पूरे आसार हैं

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