Pegasus Spyware कैसे आपके फोन पर करता है कब्जा, कहीं आप भी तो इसकी जासूसी में नहीं

पेगासस स्पाईवेयर एक बार फिर चर्चा में है। इससे पहले यह 2019 में चर्चा में आया था। जिसका शिकार कुछ वॉट्सऐप यूज़र्स हुए थे। इस बार भी इसका शिकार कई पत्रकार, प्रमुख लोग और कार्यकर्ता हुए हैं। इस वायरस से पीड़ित लोगों को वॉट्सऐप मैसेज मिले थे, जिसमें बताया गया था कि पेगासस ने उनके फोन पर कब्ज़ा कर लिया है। कई प्रमुख वेबसाइट्स से मिली जानकारी के मुताबिक भारत में 40 से ज्यादा पत्रकार, कार्यकर्ता और अन्य प्रमुख लोग शामिल हैं जिनपर जासूसी की जा रही है।

बता दें कि पेगासस को एक इजरायली कंपनी एनएसओ (NSO) ने इसे विकसित किया है, और पेगासस स्पाईवेयर के बारे में पहली जानकारी 2016 में मिली थी। स्पाईवेयर अपने नाम की मुताबिक लोगों की उनकी फोन के जरिए जासूसी करता है। पेगासस स्पाईवेयर जासूसी करने के लिए अपने टारगेट के फोन पर एक एक्सप्लॉयट लिंक भेजता है।

अगर टारगेट उस लिंक को क्लिक कर देता है तो जिस मालवेयर या कोड के जरिए जासूसी होती है, वो फोन में इंस्टॉल हो जाता है। कई बार उस लिंक को क्लिक करने की भी जरूरत नहीं रहती। एक बार पेगासस मोबाइल फोन पर इंस्टॉल हो गया तो उसका पूरे फोन पर कब्जा हो जाता है। फोन यूजर्स की सारी डिटेल्स उसके पास आ जाती है।

सितंबर 2018 में टोरंटो के सिटीजन लैब ने इस स्पाईवेयर के बारे में कुछ चौंकाने वाली जानकारी दी। जिसमें बताया गया था कि पेगासस स्पाईवेयर इतना खतरनाक है कि बिना यूजर के परमिशन के वो फोन में इंस्टॉल हो जाता है और इसके जरिए जासूसी शुरू हो जाती है। सिटीजन लैब ने उस वक्त बताया था कि दुनियाभर करीब 45 देशों में ये स्पाईवेयर एक्टिव था।

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