#अलविदा2017 : लीक से हटकर इन दिलचस्प फिल्मों ने जीता सबका दिल
मुंबई : हर साल की तरह कई फिल्मों ने बॉक्स ऑफिस पर दस्तक दी. कोई सुपरहिट तो कई फ्लॉप. कई फिल्में रोमांटिक तो कई एक्शन और ड्रामा से भरपूर रहीं. वहीं कई फिल्मों ने लीक से हटकर ऑडियंस और पैसा कमाने में कामयाब रहीं. आइए जानते हैं लीक से हटकर फिल्मों के बारे में.
लीक से हटकर फिल्में
कड़वी हवा : चुनावों में अक्सर धर्म, जाति जैसे मुद्दों को भुनाया जाता है. लेकिन पर्यावरण चुनावों में चर्चा का विषय नही बनता है. फिल्म कड़वी हवा पर्यावरण के भयावह रुप से सामना कराती है जो कि इंसानो द्वारा प्रकृति के दोहन का नतीजा है.
लिपस्टिक अंडर मॉय बुरका: महिलाओं के प्रति रुढ़िवादी धारणा को तोड़ते हुए अपने लिए आजादी तलाशती चार लड़कियों की कहानी है.
बेगम जान : भारत-पाकिस्तान विभाजन के वक्त कई ऐसे लोग थें, जिन्होंने अलग होने से मना कर दिया था. बेगम जान इसी दौर की कहानी है.
हिंदी मीडियम: हिंदी भाषा की त्रासदी को फिल्म हिंदी मीडियम बखूबी दर्शाती है. यह फिल्म उन लोगों के लिए सबक है जो कि हिंदी भाषी को हेय दृष्टि से देखते हैं. फिल्म में इरफान खान ने इस मुद्दे को बेहतरीन तरीके से सामने लाए.
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अनारकली ऑफ आरा : यह फिल्म गांव की एक डांसर की नेता और पुलिस से बदले की कहानी है.
राग देश : राग देश एक पीरियड फिल्म है, जो कि ऐतिहासिक 1945 की इंडियन नेशनल आर्मी की रेड फोर्ड ट्रायल पर आधारित है.
एन इनसिग्नीफिकेंट मैन : आम आदमी पार्टी के संघर्षों से लेकर उनके राजनीतिक सफर को दो फिल्मकारों ने बेहद बारीकी से अपने कैमरे में कैद किया है. लोकतंत्र में पार्दर्शिता जैसे बेहद महत्वपूर्ण विषय को उठाती है.
ट्रैप्ड: इस फिल्म में अकेले फंसे इंसान की कहानी है, जो एक कमरे में बंद हो जाता है. साथ ही जिसकी कोई सुध नहीं लेता और वह अकेले ही अपने दृढ़ निश्चय से मुसीबत से छुटकारा पाता है.
न्यूटन : ऑस्कर नॉमिनेटेड इस फिल्म ने सभी का दिल जीत लिया. साथ ही राजकुमार की एक्टिंग ने भी सभी का ध्यान अपनी तरफ खींचा. नक्सली इलाके में निष्पक्ष चुनाव कराने पर आधारित है. अमित मसुरकर द्वारा निर्देशित यह फिल्म सरकार, मीडिया, सेना और प्रशासन के उस चेहरे से रुबरु कराता है, जिससे भारत ज्यादातर जनता अनजान है.
टॉयलेट एक प्रेम कथा : डिजिटल इंडिया के इस दौर में हम आज भी हम दकियानूसी विचारों में पिस रहे है. यह फिल्म एक ऐसे लड़की की कहानी जो अपने ससुराल का घर इसलिए छोड़ के चली जाती है क्योंकि वहां परंपराओं के अनुसार टॉयलेट बनाना बुरा माना जाता था.
शुद्ध मंगल सावधान : प्यार और रोमांस के साथ भरोसे को बनाए रखने की शानदार कोशिश इस फिल्म में हुई. इस फिल्म में ऐसे मुद्दे को उठाया गया,ऐसी दिक्कत कई लोगों के साथ होती है. इस फिल्म में समस्या को बहुत ही ग्रेस फुल तरीके से दिखाया गया है.