Movie Review: गर्व के लम्हों को पर्दे पर जीती है ‘परमाणु’
फिल्म– परमाणु
रेटिंग– 4
सर्टिफिकेट– U
स्टार कास्ट– जॉन अब्राहम, अनुजा साठे, डायना पेंटी, बोमन ईरानी
डायरेक्टर– अभिषेक शर्मा
प्रोड्यूसर– जेए प्रोडक्शन, जी स्टूडियोज
अवधि – 2 घंटे 9 मिनट
म्यूजिक– सचिन-जिगर, जीत गांगुली, संदीप
कहानी– फिल्म परमाणु: द स्टोरी ऑफ पोखरण के नाम से ही जाहिर हो जाता है कि कहानी किसपर आधारित है। वैसे तो फिल्म की कहानी परमाणु परीक्षण की सच्ची घटना पर आधारित है लेकिन इसके साथ अश्वत रैना (जॉन अब्राहम) की कहानी भी चलती है। कहानी की शुरुआत साल 1995 से होती है। पीएमओ के एक जूनियर ब्यूरोक्रेट अश्वत रैना भारत सरकार को परमाणु परीक्षण पर एक रिपोर्ट तैयार करके देते हैं। कयोंकि किसी ने भी रिपोर्ट ठीक से नहीं पढ़ी होती है इस वजह से उस वक्त मिशन फेल होजाता है और इसकी इल्जाम अश्वत के सिर मढ़ दिया जाता है। उन्हें नौकरी से निकाल दिया जाता है, जिसके बाद वह मसूरी जाकर अपने परिवार के साथ रहने लगते हैं।
अश्वत की पत्नि सुषमा (अनुजा साठे) पेशे से एक एस्ट्रो फिजिसिस्ट होती हैं। वहां जाकर अश्वत कॉलेज के लड़कों को लोक सेवा आयोग की परीक्षा के लिए पढ़ाने में जुट जाते हैं। इसके कुछ समय बाद सरकार का तख्तापलट होता है। इसकी के साथ अश्वत की की जिंदगी में नया मोड़ आता है।
सरकार बदलते ही परमाणु परीक्षण का मुद्दा फिर से गरम होता है। प्रधानमंत्री के प्रिंसिपल सचिव इस परीक्षण पर काम करने के लिए अश्वत को बुलाते हैं। जिम्मेदारी मिलने के बाद वह भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर, डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन, रॉ, भारतीय सेना और स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन से कुछ लोगों को चुनकर एक टीम बनाता है।
इस पूरे मिशन के दौरान उस पूरी टीम को कई मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। अश्वत की पर्सनल लाइफ में भी कुछ परेशानियां आने लगती हैं। टीम की सबसे बड़ी मुश्किल अमेरिकन सेटलाइट के रूप में सामने आती है, जिससे छिपकर उन्हें ये परीक्षण करना होता है। सभी परेशानियों को पार करते हुए टीम अपने मिशन में सफल होती है और उनके इस काम से हर एक देशवासी गर्व से फूला नहीं समाता है।
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एक्टिंग– पूरी स्टार कास्ट ने फिल्म में जान फूंक कर रख दी है। हर एक स्टार अपने किरदार को जिया है। न केवल जॉन बल्कि डायना, अनुजा और बोमन ने भी अपने किरदार को बखूबी निभाया है। किसी की किरदार को देखकर ये नहीं लगता कि वो एक्टिंग कर रहे हैं। हर एक इमोशन को सभी ने भरपूर जिया है। स्टार कास्ट के फेस एक्सप्रेशन और डायलॉग डिलीवरी जबरदस्त है। सभी किरदारों में एक जुनून नजर आता है। ऐसा लगता है मानों वो रियल लाइफ में उस परमाणु परीक्षण के लिए काम कर रहे हैं।
डायरेक्शन– फिल्म का डायरेक्शन उम्दा है। फिल्म में कहीं भी कोई कमी नहीं नजर आती है। फिल्म की कहानी दर्शकों को शुरुआत से जोड़े रखती है। अंत तक आप ये सोचते हैं कि अब क्या होगा, कैसे होगा। और कहानी के अंत में एक अजीब खुशी मिलती है सीना गर्वसे चौड़ा हो जाता है। ऐसा लगता है परीक्षण की कहानी पर्दे पर नहीं देख रहे बल्कि अभी अभी आखों के सामने सबकुछ हुआ है और हमने बहुत बड़ी जंग जीत ली है।
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म्यूजिक – फिल्म के गाने और उनके बोल अच्छे हैं। फिल्म की कहानी पर सटीक बैठते हुए ये गाने आपको एंटरटेन भी करते हैं।
देखें या नहीं– परमाणु परीक्षण की इस गौरवान्वित कहानी को पर्दे पर जीने के लिए सिनेमाघर जरूर जा सकते हैं।