हमेशा से छलांगे मारता रहा है नेताओं का वेतन, 20 रुपए से हुई थी शुरुआत

नई दिल्ली। आम बजट 2018-19 पेश हो चुका है। संसद में अरुण जेटली ने आम बजट से जुड़ी सभी ऐलान कर दिए हैं। इस बजट से आम लोगों को भले ही खास फायदा नहीं हुआ है पर राष्‍ट्रपति, उप राष्‍ट्रपति, प्रधानमंत्री, राज्‍यपाल और सांसदों को बेहद फायदा हुआ है। उनकी सैलरी बढ़ाने का ऐलान हुआ है।

फिलहाल राष्ट्रपति को 1.5 लाख रुपए सैलरी मिलती है। भत्तों आदि को मिलाकर यह प्रतिमाह 5 लाख रुपए तक प‍हुंच जाती है। वहीं प्रधानमंत्री की बेसिक सैलरी 50,000 रुपए है। निर्वाचन क्षेत्र भत्ता 45,000 रुपए, रोज का भत्ता 2000 रुपए यानि एक महीने का 62,000 रुपए और व्य्य भत्ता 3000 रुपए, यानि कुल मिलाकर 1.6 लाख रुपए महीना है। और सांसदों को 50,000 रुपए प्रतिमाह सैलरी मिलती है, जो कि भत्तों के बाद 75000 रुपए तक पहुंच जाती है।

बजट के दौरान हुए नए ऐलान के बाद राष्ट्रपति की सैलरी 5 लाख रुपए प्रतिमाह, उपराष्ट्रपति को 4 लाख रुपए प्रतिमाह, राज्‍यपाल की सैलरी 1.10 लाख से 3.5 लाख रुपए प्रतिमाह हो जाएगी। किए गए बदलाव 1 अप्रैल से लागू होंगे।

बता दें, ऐसा पहली बार नहीं है कि संसद के सदस्यों की सैलरी में बदलाव हुआ है। पहले भी कई बार सांसदों की सैलरी बढ़ाई जा चुकी है। सैलरी के अलावा सांसदों को दैनिक भत्‍ता भी मिलता है जिससे उन्हें उनकी सैलरी के ज्‍यादा पैसा मिलता है।

साल 1921 में संसद के सदस्यों को दैनिक भत्ते के रूप में 20 रुपए मिला करते थे। उसके बाद साल 1945 में यह दैनिक भत्ता 30 रुपए कर दिया गया था। वहीं वाहन भत्ता 15 रुपए था। इसे साल 1946 में बढ़ाकर 45 रुपए कर दिया गया था।

उस दौरान महात्मा गांधी का मानना था कि सार्वजनिक जीवन में व्यक्तियों को न्यूनतम वेतन लेना चाहिए। तब संविधान सभा के कुछ सदस्यों को महज 30 रुपए का भुगतान किया जाता था।

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20 मई 1949 को पेश किए गए वेतन और दैनिक भत्ते के लिए मसौदा संविधान प्रावधान( Draft Constitution provision) में मासिक आय को 750 से 1000 रुपए के बीच का भुगतान करने के लिए सुझाव दिया गया था। लेकिन अचानक से इतने पैसे बढ़ाने के लिए विधानसभा ने आपत्ति जताई थी। फिर भी दैनिक भत्ता 30 रुपए से बढ़ाकर 45 रुपए कर दिया गया था।

वी. आई. मुन्नीस्वामी पिल्लई ने 17 अक्टूबर 1949 में दैनिक भत्ता को 40 रुपए करने के लिए एक प्रस्ताव भेजा था।

मेंबर ऑफ पार्लियामेंट एक्ट 1954 के अंर्तगत मासिक वेतन के रूप में 400 रुपए और दैनिक भत्ता के रूप में 21 रुपए का प्रस्ताव रखा गया। साथ ही 1946 में पेंशन को भी शामिल किया गया।

इन सभी बदलाव के बावजूद सैलरी में बढ़ोत्तरी होती गई। आगे चजकर 1964 में 500 रुपए, 1983 में 750 रुपए, 1985 में 1000 रुपए, 1988 में 4000 हजार रुप, 1998 में 12000 हजार रुपए और 2006 में हालिया पैमाने पर 16,000 रुपए की वृद्धि हुई थी।

मासिक आय ही नहीं दैनिक भत्ते में भी ऐसे ही बढ़ोतरी होती गई। 1964 में 31 रुपए, 1969 में 51 रुपए, 1983 में 75 रुपए, 1988 में 150 रुपए, 1993 में 200 रुपए, 1998 में 400 रुपए और 2001 में 500 रुपए कर दिया गया था।

सैलरी के साथ और भी कई सुविधाएं लोकसभा के मेंबर को दी जाती रही हैं। एक सांसद को 50 हजार रुपए हर महीने वेतन के रूप में मिलते हैं। साथ ही संसदीय क्षेत्र भत्ता 45 हजार रुपए, दैनिक भत्ता 2 हजार रुपए, ऑफिस के खर्चे के लिए 45,000 हजार रुपए मिलते हैं। इसके अलावा ट्रैवलिंग, रेल यात्रा, हवाई यात्रा के लिए सुविधाएं भी दी जाती है। यह सब कुल मिलाकर 2 लाख 20 हजार तक पहुंच जाता है।

सिर्फ सांसद ही नहीं उनकी पत्नी को भी स्‍पेशल सुविधाएं दी जाती हैं। सांसद की पत्नी को रेल यात्रा के लिए फर्स्ट एसी का टिकट मुफ्त दिया जाता है। इसमें वह 1 साल में 8 बार यात्राएं कर सकती हैं।

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