पाकिस्तानी विदेश मंत्री ने भारत की ओर बढ़ाया दोस्ती का हाथ लेकिन रख दी ये बड़ी शर्त

इस्लामाबाद। पाकिस्तान के नए विदेश मंत्री शाह महमूह कुरैशी ने सोमवार को कहा कि दोनों पड़ोसियों के बीच समस्याओं को सुलझाने के लिए भारत के साथ लगातार और निर्बाध बातचीत की जरूरत है। डान न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, सत्तारूढ़ पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के उपाध्यक्ष कुरैशी ने सोमवार को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की कैबिनेट के अन्य मंत्रियों के साथ शपथ ली।

पाकिस्तानी विदेश मंत्री

कुरैशी ने विदेशमंत्री के तौर पर अपने पहले भाषण में कहा, “मैं भारत की विदेश मंत्री को बताना चाहता हूं कि हम सिर्फ एक-दूसरे के पड़ोसी नहीं हैं, हम परमाणु शक्ति भी हैं। हमारे कई संसाधन समान हैं।”

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उन्होंने कहा, “वार्ता की मेज पर साथ बैठने और शांति के लिए वार्ता करने के अतिरिक्त हमारे पास कोई और कोई विकल्प नहीं है। हमें दुस्साहस छोड़कर साथ आने की जरूरत है। हम जानते हैं कि समस्याएं कठिन हैं और रात भर में नहीं सुलझेंगी, लेकिन हमें जुटना होगा।”

विदेश मंत्री ने कहा, “हम अपना मुंह नहीं मोड़ सकते। हां, हमारे कई जटिल मुद्दे हैं। कश्मीर एक सच्चाई है। इस मुद्दे को दोनों देश स्वीकारते हैं. हमें निर्बाध और अनवरत वार्ता की जरूरत है। हमारे पास आगे बढ़ने के लिए यही एक रास्ता है।”

कुरैशी ने कहा कि दोनों देशों का नजरिया और सोच अलग हो सकती है लेकिन वे दोनों देशों के बीच के व्यवहार में बदलाव देखना चाहते हैं। समाचार पत्र डॉन के अनुसार, उन्होंने जोर देते हुए कहा कि भारत और पाकिस्तान को अपनी सच्चाइयां स्वीकारते हुए आगे बढ़ना होगा। उन्होंने कहा कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इमरान खान को एक पत्र लिखा है जिसमें उन्होंने दोनों देशों के बीच वार्ता शुरू होने के संकेत दिए हैं।

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समाचार पत्र के अनुसार, कुरैशी ने पड़ोसी देशों से रिश्तों को बढ़ावा देने की जरूरत पर जोर देते हुए कहा, “मैं पाकिस्तान और अन्य क्षेत्रीय देशों के बीच विश्वास बनाने की कोशिश करूंगा।” उन्होंने यह भी कहा कि विदेश नीति को केंद्र में पाकिस्तान का हित ही होगा।

उन्होंने कहा, “हमें जहां अपनी विदेश नीति बदलने की जरूरत होगी, हम बदलेंगे।” उन्होंने कहा कि वह अफगानिस्तान जाने की योजना बना रहे हैं। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान तहरीके इंसाफ चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) का समर्थन करती है। कुरैशी इससे पहले 2008-13 सत्र में राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी और पूर्व प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी के काल में विदेश मंत्री रह चुके हैं।

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