भंसाली के बाद प्रसून जोशी की बढ़ी मुसीबत, कोर्ट ने भेजा अवमानना का नोटिस

सेंसर बोर्ड के अध्यक्षनई दिल्लीः संजय लीला भंसाली की फिल्म का नाम बदलने और बदलाव करने के बाद भी इस फिल्म का जमकर विरोध हो रहा है. राजपूत महिलाओं की जौहर की धमकी के बाद एक नई मुसीबत गले पड़ गई है. लेकिन इस बार सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष भी लपेटे में आ गए हैं.

इस फिल्म का नाम अब पद्मावत हो गया है. शुरूआत से ही फिल्म का विरोध हो रहा है और आए दिन इसके विरोध की आग बढ़ती जा रही है. इस फिल्म को कई राज्यों में बैन कर दिया गया है.

इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने फिल्म ‘पद्मावत’ की रिलीज के खिलाफ दाखिल प्रत्यावेदन पर निर्णय ना लेने पर सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष प्रसून जोशी को अवमानना नोटिस जारी करते हुए तीन हफ्ते में जवाब दाखिल करने को कहा है. न्यायमूर्ति महेंद्र दयाल की एकल पीठ ने कामता प्रसाद सिंघल नामक व्यक्ति की ओर से दायर एक अवमानना याचिका पर यह आदेश पारित किया.

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दरअसल याची की ओर से फिल्म को रिलीज करने के खिलाफ तर्क दिया जा रहा है कि फिल्म सती प्रथा को बढ़ावा देने वाली है जबकि सती प्रथा को बढ़ावा देना अपराध की श्रेणी में आता है.

याचिका में कहा गया था कि विवादों से घिरी फिल्म की रिलीज रोकने के लिए पहले एक जनहित याचिका दाखिल की गई थी, जिस पर अदालत ने 9 नवम्बर 2017 को याचिका तो निरस्त कर दी थी. लेकिन उन्हें यह अनुमति दी थी कि वह सिनेमैटोग्राफ सर्टिफिकेशन रूल्स 1983 के नियम 32 के तहत अपना प्रत्यावेदन पेश कर सकते हैं.

याची का कहना था कि उसने 13 नंवबर 2017 को अपना प्रत्यावेदन सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष को प्रस्तुत कर दिया था. लेकिन अदालत की ओर से दी गई तीन माह की मोहलत बीत जाने के बाद उनका प्रत्यावेदन आज तक नहीं तय किया गया. अदालत इस मामले की अगली सुनवाई फरवरी के दूसरे हफ्ते में करेगी.

फिल्म पद्मावत 25 जनवरी को रिलीज होगी.

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