
विपक्षी दलों ने मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) ज्ञानेश कुमार के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने की योजना बनाई है। यह कदम कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा हाल ही में लगाए गए ‘वोट चोरी’ के आरोपों के बाद उठाया जा रहा है।

सूत्रों के अनुसार, विपक्षी गठबंधन इंडिया ब्लॉक इस मुद्दे पर संसद के मानसून सत्र में महाभियोग प्रस्ताव पेश कर सकता है। कांग्रेस सांसद इमरान प्रतापगढ़ी ने कहा कि इस संबंध में जल्द ही निर्णय लिया जाएगा।
राहुल गांधी ने 7 अगस्त को दावा किया था कि महाराष्ट्र, कर्नाटक और हरियाणा में मतदाता सूची में हेरफेर किया गया, विशेष रूप से कर्नाटक के बैंगलोर सेंट्रल लोकसभा क्षेत्र के महादेवपुरा विधानसभा क्षेत्र में 1,00,250 वोटों की ‘चोरी’ का आरोप लगाया। उन्होंने चुनाव आयोग पर सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के साथ मिलीभगत का भी आरोप लगाया। इन आरोपों में डुप्लिकेट मतदाता, शून्य नंबर वाले पते और एक ही पते पर दर्ज दर्जनों मतदाताओं जैसी अनियमितताओं का जिक्र किया गया।
मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने रविवार को इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि राहुल गांधी की ओर से प्रस्तुत ‘पीपीटी प्रेजेंटेशन’ में मतदाता डेटा का गलत विश्लेषण किया गया। उन्होंने गांधी को सात दिनों के भीतर शपथपत्र जमा करने या देश से माफी मांगने की चुनौती दी। कुमार ने स्पष्ट किया कि मतदाता सूची और मतदान प्रक्रिया दो अलग-अलग प्रक्रियाएँ हैं, और डुप्लिकेट नाम होने का मतलब ‘वोट चोरी’ नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि दो जगह वोट डालना आपराधिक अपराध है और ऐसी कोई शिकायत सिद्ध नहीं हुई।
कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों, जैसे राजद और झामुमो, ने चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठाए हैं। कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने कहा कि सीईसी की टिप्पणियाँ बीजेपी प्रवक्ता जैसी लगती हैं। बिहार में विशेष गहन संशोधन (एसआईआर) को लेकर भी विपक्ष ने आयोग पर जल्दबाजी का आरोप लगाया, जिसे कुमार ने खारिज करते हुए कहा कि मतदाता सूची का संशोधन हर चुनाव से पहले कानूनी रूप से आवश्यक है।
महाभियोग प्रस्ताव को संसद के दोनों सदनों में दो-तिहाई बहुमत की आवश्यकता होती है, जो वर्तमान में विपक्ष के पास नहीं है। फिर भी, यह कदम चुनाव आयोग और विपक्ष के बीच बढ़ते तनाव को दर्शाता है। राहुल गांधी ने बिहार के सासाराम से ‘वोटर अधिकार यात्रा’ शुरू की है, जो 1 सितंबर को पटना में समाप्त होगी, ताकि ‘वोट चोरी’ के खिलाफ जनजागरूकता फैलाई जाए।