पहलगाम आतंकी हमले में शहीद नौसेना अधिकारी की पत्नी हिमांशी नरवाल ने जब मुस्लिमों और कश्मीरियों को निशाना न बनाने की अपील की, तो सोशल मीडिया पर उनके खिलाफ नफरत भरे हमले शुरू हो गए।

हमले में अपने पति लेफ्टिनेंट विनय नरवाल को खोने वाली हिमांशी की तस्वीर बैसारन घाटी से वायरल हुई थी, जिसके बाद उन्हें देशभर से समर्थन मिला। लेकिन उनकी शांति और एकता की अपील के बाद सोशल मीडिया पर कुछ लोगों ने उन्हें ट्रोल करना शुरू कर दिया।
राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) ने इस मामले में हस्तक्षेप करते हुए सख्त बयान जारी किया है। आयोग ने कहा, “लेफ्टिनेंट विनय नरवाल की मृत्यु के बाद उनकी पत्नी हिमांशी नरवाल के बयान को लेकर सोशल मीडिया पर की जा रही आलोचना निंदनीय और गलत है। किसी महिला को उसकी विचारधारा या निजी जीवन के आधार पर इस तरह निशाना बनाना पूरी तरह अस्वीकार्य है।”
एनसीडब्ल्यू ने माना कि हिमांशी के बयान से कई लोग सहमत नहीं हो सकते, लेकिन असहमति को संवैधानिक मर्यादाओं के साथ व्यक्त करना चाहिए। आयोग ने कहा कि पहलगाम के जघन्य हमले से देश आहत और गुस्से में है, लेकिन ट्रोलिंग गलत है।
हिमांशी ने क्या कहा?
पिछले हफ्ते एक इंटरव्यू में हिमांशी ने कहा, “हम नहीं चाहते कि लोग मुस्लिमों या कश्मीरियों को निशाना बनाएं। हम शांति और न्याय चाहते हैं। जिन लोगों ने मेरे पति के साथ गलत किया, उन्हें सजा मिलनी चाहिए।” शादी के सिर्फ छह दिन बाद अपने पति को खोने वाली हिमांशी की इस अपील पर सोशल मीडिया पर कुछ लोगों ने तीखी प्रतिक्रिया दी।
एक यूजर ने कहा कि वह इस घटना का इस्तेमाल “सामाजिक और राजनीतिक लाभ” के लिए कर रही हैं। एक अन्य ने पूछा, “उनका दिमाग अचानक कैसे बदल गया?” कुछ ने तो यह भी कहा कि “उन्हें गोली मार देनी चाहिए थी।” कुछ यूजर्स ने उनकी स्थिरता पर सवाल उठाते हुए कहा कि वह “हैरान नहीं दिखीं” और “यह एक साजिश हो सकती है।”
हालांकि, हिमांशी को ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी और हजारों सोशल मीडिया यूजर्स का समर्थन मिला। ओवैसी ने कहा, “आतंकियों ने हमारी बेटी (हिमांशी) की जिंदगी बर्बाद कर दी, फिर भी उन्होंने दुख में भी कहा कि वह नहीं चाहतीं कि इस त्रासदी से मुस्लिमों या कश्मीरियों के खिलाफ नफरत फैले। सरकार को उनके शब्द याद रखने चाहिए। नफरत फैलाने वाले वही हैं, जो आतंकियों को खुशी देते हैं।”