दिवाली पर संत समाज ने किया इस खूनी अंधविश्वास का विरोध

रिपोर्ट—पुलकित शुक्ला
हरिद्वार।खूनी अंधविश्वास का विरोध-  दीपावली का पर्व एक और जहां रोशनी व ख़ुशी का पर्व माना जाता है तो वहीँ इस दिन लक्ष्मी पूजन का भी विशेष महत्व होता है। लक्ष्मी पूजन के साथ ही तांत्रिको द्वारा इस दिन उल्लुओं की बलि भी दी जाती है।

खूनी अंधविश्वास का विरोध-

मान्यता है कि जो व्यक्ति तंत्र क्रिया के माध्यम से उल्लू की बलि देता है। उस पर लक्ष्मी की कृपा बरसती है! उल्लुओं की बलि को देखते हुए इस बार उत्तराखण्ड के वन महकमे ने अलर्ट जारी कर सभी वन क्षेत्रों में सघन निगरानी के आदेश जारी किये हैं, तो वहीँ दूसरी और संत समाज ने भी तांत्रिको द्वारा उल्लुओं की बलि दिए जाने का विरोध किया है।

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हिन्दू धर्म में दीपावली का पर्व विशेष महत्व रखता है, दीपोत्सव नाम से मशहूर यह पर्व लक्ष्य पूजन के लिए भी जाना जाता है! मगर सदियों से एक अंधविश्वास इस पर्व के साथ जुड़ा हुआ है, अंधविश्वास है कि जो व्यक्ति इस दिन तंत्र क्रिया कर उल्लू की बलि देता है, उस पर सदा लक्ष्मी की कृपा बरसती है, जिसके चलते इस पर्व के दौरान पूर्व में उल्लुओं की तस्करी के कई मामले प्रकाश में आ चुके हैं।

वहीँ संत समाज से जुड़े लोगो ने इस तरह की पूजन विधि का विरोध किया है संतो का कहना है कि यह पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाता है और यह रौशनी का पर्व है, मगर धन प्राप्ति की झूठी मान्यता के लिए निर्ममता से उल्लुओं की बलि दिया जाना बिलकुल ही गलत है।

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वहीँ उत्तराखण्ड वन महकमे ने दीपावली पर्व पर उल्लुओं की तस्करी को देखते हुए अलर्ट जारी कर दिया है। वन महकमे द्वारा राज्य के सभी वन क्षेत्रों में सघन निगरानी के आदेश जारी कर दिए गए हैं। राजाजी टाइगर रिजर्व के हरिद्वार से सटे होने के कारण यहां पर विशेष चैकिंग अभियान चलाया जा रहा है। रिजर्व की हरिद्वार रेंज से सटे इलाकों पर वनकर्मी सघन पेट्रोलिंग कर हर स्थिति पर अपनी नजर रख रहे हैं।

हरिद्वार से सटे वन क्षेत्रों में उल्लुओं की कई बहुमूल्य प्रजातियां पायी जाती है, जैव परिस्थिति तंत्र में इस पक्षी का विशेष महत्त्व होता है, मगर तांत्रिको व तंत्र क्रिया के इच्छुकों के कारण आज इसके अस्तित्व पर संकट मंडराने लगा है। उम्मीद है कि वन महकमे की सतर्कता व संतो के आह्वान के बाद शायद इस तरह के कर्मकांडो पर लगाई जा सकेगी।

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