अब घर में रहना भी होगा दुर्भर, ऐसे रखें ख्याल

बढ़ते प्रदूषण स्तर को देखते हुए एक सर्व में कुछ ऐसी बातों का पता चला है वह सुनने में भले ही थोड़ी अलग हो लेकिन आप उन बातों पर पूरा विश्वास कर सकते हैं।दरअसल, वायु प्रदूषण के कारण एक स्डटी में इल बात का खुलासा हुआ है कि बाहर से ज्यादा घर के अंदर प्रदूषण है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि घर के अंदर वैक्यूमिंग, खाना पकाने, धूल झाड़ने या कपड़ों का ड्रायर चलाने जैसे कामों के कारण हो सकता है। घर में जो प्रदूषणं होता है वह बाहर से 10 से 30 गुना ज्यादा होता है।

air pollution

घरों के अंदर मौजूद वायु प्रदूषण लोगों के स्वास्थ्य को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचाता है। खासकर अस्थमा पीड़ित युवाओं और बुजुर्गों के लिए यह जानलेवा हो सकता है. शोधकर्ताओं ने बताया कि प्रत्येक घर में वायु प्रदूषण की परिस्थितियां अलग-अलग होती हैं।

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इस सब के साथ ही घर में पालने वाले पालतू जानवरों से एलर्जी और कुकिंग गैस आदि से भी वायु प्रदूषण का खतरा बढ़ जाता है। यह मानव के अंगो को बहुत बुरी तरह से प्रभावित करते हैं। माना जाता है कि कुछ रोजमर्रा के काम जो आपको पता नहीं चलते हैं लेकिन आपको काफी नुकसान पहुंचाते हैं।

पर्यावरण में मौजूद कणों का सीधा वास्ता फेफड़ों से पड़ता है, जिसके कारण अस्थमा और फेफड़ों के कैंसर जैसे कई श्वसन रोग हो सकते हैं। धूल के कण जैसे फेफड़ों की सूजन, ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस और सेल साइकल डेथ को प्रभावित कर सकते हैं। प्रदूषण की वजह से अस्थमा वाले लोगों में परेशानी हो सकती है।

घर की वायु को ऐसे रखें साफ-

घर और कार्यालय में नमी को नियंत्रित करें।

बाथरूम और रसोई में एगजॉस्ट फैन लगाएं।

घरेलू उपकरणों को ठीक से साफ करें और धूल से बचाकर रखें।

कालीन को साफ और सूखा रखें।

तकिए, कंबल और बिस्तर को नियमित रूप से 60 डिग्री सेल्सियस तापमान पर धोया करें।

टेक्सटाइल कारपेटिंग की जगह लकड़ी, टाइल या लिनोलियम का फर्श लगाएं, वैक्यूम क्लीनिंग और गीले पोछे से सफाई करना अच्छा तरीका है।

 

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