
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 65 की उम्र में भी एक दम फिट और सेहतमंद हैं। पीएम मोदी फिट रहने के लिए 16 से 18 घंटे काम करते हैं। योगा भी उनकी रूटीन में शामिल है। पीएम मोदी आज के दौर में युवाओं के आइकन हैं। युवा उनकी स्टाइल तक कॉपी करते हैं। मोदी पर महंगे लाखों के कपड़े पहनने का आरोप लगा। बीते दिनों मोदी पर 80 हज़ार किलो वाले मशरूम खाने का भी आरोप लगाया गया। लेकिन इनकी सच्चाई इससे अलग है।
गुजरात चुनाव में नौजवान नेता कल्पेश ठाकोर ने पीएम मोदी पर 80 हज़ार किलो वाले मशरूम खाने का आरोप लगाया था। उन्होंने चुनाव प्रचार के आख़िरी दिन बड़ा दिलचस्प बयान दिया. उन्होंने कहा, ”किसी ने कहा कि (नरेंद्र) मोदी साहब जो खाते हैं, वो खाना आप नहीं खा सकते क्योंकि वो ग़रीबों का खाना नहीं है।”
‘मोदी खाते हैं इम्पोर्टेड मशरूम’
उन्होंने कहा, ‘ताइवान से आने वाले एक मशरूम की क़ीमत 80 हज़ार रुपए है और मोदी साहब हर रोज़ के ऐसे पांच मशरूम खा जाते हैं। मैंने पूछा जब से वो पीएम बने तब से, तो उन्होंने जवाब दिया कि नहीं जब से सीएम बने, तब से।’
कल्पेश ठाकोर ने कहा, ‘तभी मैंने सोचा कि वो तो मेरे जितने काले हुआ करते थे, गोरे कैसे हो गए। मैंने 35 साल पहले की उनकी फ़ोटो देखी है, वो मेरे जैसे दिखते थे।’
पाटीदार नेता ने कहा कि, ‘समझ लो जो पीएम हर रोज़ 4 लाख के मशरूम खा जाते हैं, महीने के 1 करोड़ 20 लाख के मशरूम खा जाते हैं, उनको ये रोटी-चावल अच्छा नहीं लगेगा। ये तो सिर्फ़ दिखावा है।’
अब पीएम मोदी का खुलासा जानिए
गुजरात के सीएम रहते हुए नरेंद्र मोदी ने मीडिया से कहा था कि, उनकी सेहत का राज हिमाचल प्रदेश में उगने वाला मशरूम है। पीएम मोदी को जो मशरूम पसंद है वो हिमालय के पहाड़ों पर पाया जाता है। ये मशरूम के खास किस्म की प्रजाति है। इसे गुच्छी कहते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जिस समय हिमाचल भाजपा के प्रभारी थे, उन्हें इस गुच्छी की सब्जी का स्वाद लगा था।
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80 हजार की सच्चाई भी जान लो
स्थानीय लोग इसे पांच से 8 से 15 हजार रुपये में बाहरी व्यापारियों को बेचते हैं। व्यापारी लोग इसे 10-15 हज़ार में खरीदते है और बाज़ार में इसकी कीमत 25 से 30 हजार रुपये किलो बिकती है।
हिमाचली गुच्छी के आगे फीका ताइवानी मशरूम
स्वाद में बेजोड़ और कई औषधीय गुणों वाले ये कुदरती मशरूम बर्फीले इलाके जैसे हिमाचल,उत्तराखंड और कश्मीर के जंगलो में बर्फ के बढ़ने और पिघलने के बाद अपने आप उग जाते है। यह मशरूम अलग होते है। इन्हें इम्पोर्ट नहीं किया जा सकता। ये प्राकृतिक तरीके से ही पाया जा सकता है।
दिलचस्प बात है कि ये कुदरती मशरूम जंगलों में देवदार के पेड़ों के आसपास उगता है और आज तक कोई भी वैज्ञानिक प्रयोगशाला इसका निर्माण नहीं कर पाई है। पहाड़ में इसे गुच्छी और चैंऊ कहा जाता है। लोग जंगलों मे इसका पता लगाने के लिए भटकते रहते हैं। कई दिन की खोज के बाद कुछ कम मात्रा में मिल पाता है।
अब इसकी खूबियां
इसमें विटामिन सी ,बी ,डी की मात्र भरपूर होती है और यह भी कहा जाता है की इसका सेवन करने से हार्ट की भी प्रॉब्लम कम होती है। इसकी डिमांड विदेशी देशो जैसे फ्रांस, अमेरिका, स्विट्ज़रलैंड में ज्यादा देखने को मिलती है और ये फाइव स्टार होटलों की पसंदीदा डिश है।