रोहिंग्या शरणार्थियों को लेकर बांग्लादेश पर झल्लाई म्यांमार सरकार, लगाई आरोपों की झड़ी

म्यांमारबैंकाक| म्यांमार ने बांग्लादेश पर शरणार्थी शिविर बनाने के लिए मिल रही करोड़ों डॉलर की सहायता राशि की वजह से शरणार्थियों को वापस म्यांमार भेजने में देरी करने का आरोप लगाया है। एफे न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, म्यांमार में हिंसा की वजह से पिछले कुछ महीने में लगभग 6 लाख रोहिंग्या मुस्लिम और अन्य समुदायों से संबंध रखने वाले हजारों अल्पसंख्यक भाग कर बांग्लादेश चले गए हैं।

म्यांमार सरकार ने लगाए आरोप

म्यांमार के सरकारी अखबार ग्लोबल न्यू लाइट के अनुसार, म्यांमार की स्टेट काउंसिलर आंग सान सू की के प्रवक्ता यू जाव ते ने रखाइन प्रांत के दौरे के बाद कहा, “हम अपनी तरफ से, (शरणार्थियों को) किसी भी समय स्वीकार करने के लिए तैयार हैं।”

यू जाव ते ने विशेष रूप से रोहिंग्या शब्द का उल्लेख नहीं किया, जिन्हें म्यांमार नागरिकता देने से मना करता रहा है और संयुक्त राष्ट्र के अनुसार यह समुदाय म्यांमार सेना द्वारा कथित रूप से जातीय नरसंहार का शिकार हुआ है।

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उन्होंने कहा कि म्यांमार सत्यापन के बाद शरणार्थियों को स्वीकार करने के लिए तैयार है और कहा कि इसमें देरी की वजह बांग्लादेश में बनने वाले विशाल शरणार्थी शिविरों के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहायता का मिलना है।

प्रवक्ता ने कहा, “हाल ही में उन्हें 40 करोड़ डॉलर की सहायता मिली। यह राशि मिलने के बाद हमें डर है कि वे (बांग्लादेश) शरणार्थियों को भेजने में और विलंब कर सकते हैं।”

मौजूदा संकट के पहले, रखाइन प्रांत में 10 लाख से ज्यादा रोहिंग्या रहते थे। इन लोगों को 2012 में सांप्रदायिक हिंसा के बाद कथित रूप से उत्पीड़न को सामना करना पड़ा जिसमें कम से कम 160 लोग मारे गए थे और 120,000 लोगों को शिविरों में जाने के लिए विवश होना पड़ा था।

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पिछले वर्ष, विद्रोही संगठन अराकान रोहिंग्या साल्वेशन आर्मी (एआरएसए) द्वारा सीमा सुरक्षा चौकियों पर हमले के बाद म्यांमार सेना द्वारा प्रतिक्रिया स्वरूप हमले में लगभग 85,000 रोहिंग्या को म्यांमार से भागना पड़ा था।

मौजूदा संकट, एआरएसए द्वारा 25 अगस्त को दोबारा कई सुरक्षा चौकियों पर हमले के बाद पैदा हुआ।

बांग्लादेश ने केवल 30,000 रोहिंग्याओं को शरणार्थी का दर्जा दिया है।

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