MP: इंदौर में 31 पुलिसकर्मी हुए कोरोना का शिकार, एक की हो चुकी है मौत
मध्यप्रदेश। वैश्विक महामारी की मार बढ़ती जा रही है. हर दिन नए केस आ रहे हैं जो 2,000 से ज्यादा की संख्या में हैं. ऐसे में सरकार ने लॉ़कडाउन का तीसरा चरण भी शुरु कर दिया है. बावजूद इसके केस थमने का नाम नहीं ले रहे हैं. देश में 53,000 से ज्यादा कोरोना की चपेट में आ चुके हैं.
देश में कोरोना वायरस के प्रकोप से सबसे ज्यादा प्रभावित जिलों में शामिल इंदौर में इस महामारी से दो और मरीजों की मौत हो गई है। इसके साथ ही, जिले में इस महामारी की चपेट में आकर दम तोड़ने वाले मरीजों की तादाद बढ़कर 83 पर पहुंच गई है। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (सीएमएचओ) प्रवीण जाडिया ने गुरुवार को बताया कि कोविड-19 से संक्रमित दो मरीजों ने शहर के अलग-अलग अस्पतालों में पिछले दो दिनों में आखिरी सांस ली।
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पहले से बीमारी से जूझ रहे थे दोनों मृतक
उन्होंने बताया कि कोरोना वायरस के शिकार मरीजों में शामिल 50 वर्षीय पुरुष मधुमेह, उच्च रक्तचाप और गुर्दे के गंभीर रोग से पहले ही पीड़ित था, जबकि 54 वर्षीय पुरुष सेप्सिस (रक्त विषाक्तता) से जूझ रहा था।
इंदौर में कोरोना से संक्रमित हुए 31 पुलिसकर्मी
इंदौर में 31 और पुलिसकर्मियों को कोरोना पॉजिटिव पाया गया है। इस बात की जानकारी एसपी (पूर्व) मोहम्मद यूसुफ कुरैशी ने दी। बताया जा रहा है कि इनमें 22 अस्पताल में भर्ती है, जबकि आठ को अस्पताल से छुट्टी मिल गई है और एक की मौत हुई है।
24 घंटे में मिले 18 नए मरीज
सीएमएचओ ने बताया कि जिले में पिछले 24 घंटे के दौरान कोरोना वायरस के 18 और मरीज मिले। इसके बाद इस महामारी की जद में आए लोगों की तादाद 1,681 से बढ़कर 1,699 पर पहुंच गई है। हालांकि, इनमें से 595 मरीजों को इलाज के बाद संक्रमणमुक्त होने पर अस्पतालों से छुट्टी दी जा चुकी है।
मृत्यु दर पांच प्रतिशत से कम
ताजा आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि रेड जोन में शामिल इंदौर जिले में गुरुवार सुबह की स्थिति में कोविड-19 के मरीजों की मृत्यु दर 4.88 प्रतिशत थी। पिछले 11 दिन से जिले में इस महामारी के मरीजों की मृत्यु दर पांच प्रतिशत से कम बनी हुई है।
इंदौर में कोरोना वायरस का पहला मरीज मिलने के बाद से प्रशासन ने 25 मार्च से शहरी सीमा में कर्फ्यू लगा रखा है, जबकि जिले के अन्य स्थानों पर सख्त लॉकडाउन लागू है।
प्लाज्मा थेरेपी से गुजरे चार मरीजों ने कोरोना को दी मात
कोरोना के मरीजों पर प्लाज्मा थेरेपी के परिणामों को लेकर दुनिया भर के मेडिकल समुदाय में जारी बहस के बीच इंदौर के एक निजी अस्पताल ने दावा किया है कि इस थेरेपी से गुजरी 26 वर्षीय महिला समेत चार मरीज महामारी के संक्रमण से मुक्त हो गये हैं।
श्री अरबिंदो इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (सैम्स) के छाती रोग विभाग के प्रमुख डॉ. रवि डोसी ने बृहस्पतिवार को “पीटीआई-भाषा” को बताया कि हमने भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के तय प्रोटोकॉल के मुताबिक 26 वर्षीय महिला, 23 वर्षीय पुरुष, 40 वर्षीय पुरुष और 55 वर्षीय पुरुष पर प्लाज्मा थेरेपी का प्रयोग 26 अप्रैल से शुरू किया था। अब ये चारों मरीज कोविड-19 के संक्रमण से मुक्त हो गए हैं
उन्होंने बताया कि प्लाज्मा थेरेपी के चिकित्सकीय प्रयोग से पहले चारों मरीजों से इसकी सहमति ली गई थी। प्रयोग के तहत इन मरीजों को तय दवा देने के साथ ही प्लाज्मा भी चढ़ाया गया था। यह प्लाज्मा उन दानदाताओं का था जो कोविड-19 के संक्रमण से पहले ही मुक्त हो चुके हैं।
सीटी स्कैन में भी संक्रमण मुक्त होने की पुष्टी
डॉक्टर ने बताया कि तय प्रोटोकॉल के तहत दवा और प्लाज्मा चढ़ाए जाने के बाद चारों मरीजों की कोविड-19 की जांच रिपोर्ट लगातार दो बार नकारात्मक आई है। इसके साथ ही, उनके फेफड़ों के सीटी स्कैन की रिपोर्ट से भी पता चलता है कि वे महामारी के संक्रमण से मुक्त हो चुके हैं।
बहरहाल, उन्होंने कहा कि हम कोविड-19 के मरीजों पर प्लाज्मा थेरेपी के असर को लेकर अभी किसी नतीजे की घोषणा नहीं कर रहे हैं। हम इस प्रयोग को कुछ और मरीजों पर आजमाना चाहते हैं। हम प्रयोग के परिणामों को लेकर आईसीएमआर के साथ विस्तृत ब्योरा साझा करेंगे।
30 से ज्यादा लोगों ने प्लाज्मा दानदाता बनने की इच्छा जताई
उन्होंने यह भी बताया कि उनके अस्पताल में इलाज के बाद कोविड-19 के संक्रमण से मुक्त हुए 30 से ज्यादा लोगों ने प्लाज्मा दानदाता बनने की इच्छा जताई है।
जानकारों ने बताया कि कोविड-19 से पूरी तरह उबर चुके लोगों के खून में “एंटीबॉडीज” बन जाती हैं जो भविष्य में इस बीमारी से लड़ने में उनकी मदद करती हैं।