Movie Review: मोहनजोदारो से मोहन और जोदारो दोनों गायब

मोहनजोदारोफिल्म: मोहनजोदारो

क्रिटिक रेटिंग: 2/5

स्टारकास्ट : ऋतिक रोशन, पूजा हेगड़े

डायरेक्टर : आशुतोष गोवारि‍कर

प्रोड्यूसर : सिद्धार्थ रॉय कपूर, सुनीता गोवारिकर

म्यूजिक डायरेक्टर: ए आर रहमान

अवधि: 150 मिनट

सर्टिफिकेट: U/A

मोहनजोदारो फिल्म की कहानी

मोहनजोदारो फिल्म सिंधू घाटी की सभ्यता पर बनी फिल्म है। यह कहानी रितिक रोशन के इर्द-गिर्द घूमती है। दरअसल यह वही कहानी है जो सभी ने स्कूल के इतिहास में पढ़ी है। फिल्म में ऐसे कुछ छोटे-छोटे टुकड़े देखने को मिलेंगे।

फिल्म में उस समय का दौर दिखाया गया है जब सिंधु घाटी सभ्यता के अन्तर्गत लोग रहा करते थे।  उसी दौरान एक छोटे से गांव आमरी का लड़का सरमन (रितिक रोशन) अपने काका (नितिश भारद्वाज) और काकी के साथ रहता है। एक दिन नील की फसल के व्यापार के लिए सरमन नदी पार करके पास के ही बड़े शहर मोहन जोदरो पहुंच जाता है जहां उसकी मुलाकात चानी (पूजा हेगड़े) से होती है।

अब आगे की कहानी जानने के लिए आपको थिएटर तक तो जाना ही पड़ेगा।

डायरेक्शन

इस फिल्म को आशुतोष गोवरिकर ने डायरेक्ट किया है। फिल्म को बेहतरीन तरीके से आशुतोष ने रीपैकेज किया है।

फिल्म में आशुतोष गोवरिकर ने आंतरिक और अंतर्राष्ट्रीय  व्यापार, एक अच्छे शहर की सड़कें, लोगों के रोजी रोटी कमाने के काम या वजन तोलने के माध्यम, पुजारी और राजा गोवरिकर ने सभी को एक बेहतरीन तरीके से साथ बांधा है।

हालाँकि फिल्म बीच में थोड़ी कॉमेडी भी हो जाती है। करीब आधी फिल्म ना ही इतिहास के लिए कोई उत्सुकता जगाती है, ना ही रोमांस और ड्रामा की इतनी पकड़ है कि आप इसे सिनेमैटिक आर्ट का एक बेहतरीन नमूना बता सकें।

एक्टिंग

रितिक रोशन ने गजब की एक्टिंग की है, वहीं पूजा हेगड़े ने चानी का अच्छा किरदार निभाया है। फिल्म के बाकी कलाकार मनीष चौधरी, शरद केलकर, नितीश भारद्वाज, कबीर बेदी, अरुणोदय सिंह ने भी अच्छा काम किया है।

म्यूजिक

फिल्म का म्यूजिक अच्छा है और ए आर रहमान ने अच्छा म्यूजिक कंपोज किया है।

देखें या नहीं

कई जगहों पर फिल्म में एक्टिंग कमजोर लगती है तो वहीं कई जगह हल्की भी लगी है। फिल्म की स्क्रिप्ट थोड़ी ढीली है। इतिहास के जानकारों को फिल्म के कुछ हिस्से एंटरटेन करते हैं। लेकिन फिल्म लवर्स के लिए यह थोड़ी बोरिंग हो सकती है।

हालांकि फिल्म की अपील डायरेक्टर के इमेजिनेशन की क्षमता पर निर्भर रहती है। गोवरिकर ये दिखाने में सफल रहे हैं कि अगर कोई पहली बार किसी गांव से मुंबई या दिल्ली आए तो उसे गांव किस तरह का लगेगा। आशुतोष ने अपनी इमैजिनेशन को पर्दे पर उतारने की पूरी कोशिश की है।

 

 

 

 

 

 

 

 

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