Movie Review : ‘मां’ के साथ हुई ज्यादती को नहीं सह सका उसका बच्चा , लगाई प्रधानमंत्री से गुहार

मुंबई : बॉलीवुड दुनिया में आजकल बायोपिक कादौर लगा हुआ है। वही राकेश ओमप्रकाश मेहरा की फिल्म ‘मेरे प्यारे प्राइम मिनिस्टर’ को रिलीज से पहले ही कई जाने माने लोगों से सराहना मिल चुकी है।

 

प्राइम मिनिस्टर

जहां इस फिल्म को देखने के बाद इस बात का एहसास हो जाता है कि ये सराहना झूठी नहीं थी और इस फिल्म का नाम सुनकर और ट्रेलर देखकर ऐसा लगता है कि फिल्म सरकार का प्रोपगेंडा पेश करेगी, लेकिन यहीं राकेश ओमप्रकाश मेहरा बाज़ी मार ले जाते हैं। जहां ये फिल्म सरकार का भोंपू नहीं बल्कि एक बच्चे की सिस्टम से ज़िद और काम करवाने के तरीके पर आ जाती है।

बता दें की मुंबई की झोपड़पट्टी में रहने वाली सरगम (अंजलि पाटिल) और उसका बेटा कान्हू (ओम कनौजिया) बेहद गरीबी में भी बहुत सुख से रहते हैं।

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जहां इस झोपड़पट्टी में कई किरदार है जो किसी न किसी तरह से एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। लेकिन सभी के सामने एक बड़ी विकराल समस्या है। और कई हज़ारों लोगों की बस्ती में एक भी शौचालय नहीं है और महिलाओं को निवृत्ति के लिए मुंह अंधेरे रेलवे की पटरी के पास जाना पड़ता है। एक दिन शौच जाते समय सरगम के साथ रेप होता है और फिर उसका बेटा कान्हू ये फैसला लेता है कि वो मां के लिए शौचालय बनवा कर रहेगा।

देखा जाये तो इस एक शौचालय के लिए मुंबई की बस्ती से निकला ये छोटा सा लड़का कैसे भारत के सर्वोच्च पद पर आसीन व्यक्ति तक पहुंच जाता है, इस देश के लोकतंत्र की ताकत के साथ साथ इंसान को सकारात्मक रहने का भी संकेत देता है।

फिल्म का स्ट्रांग पहलू है इस फिल्म की साइड कास्ट है। निर्देशक ने बेहद मंझे हुए कलाकारों को फिल्म में जगह दी है और वो कैमरा के सामने उस बस्ती की ज़िंदगी का सजीव चित्रण करते हैं।

छोटे से कान्हू के दोस्तों से लेकर अंजलि की पड़ोसन राबिया (रसिका अगाशे), ये पूरी कास्ट रंगमंच के मंझे हुए खिलाड़ियों से बनी है और वो अपना माद्दा फिल्म के हर सीन में साबित करते हैं।

104 मिनट की ये फिल्म आपको हिलने का मौका नहीं देती। इस हफ्ते रिलीज़ हुई बच्चों के इर्द गिर्द बनी ये दूसरी फिल्म है। जहां ‘हामिद’ बेहद सुस्त है वहीं ‘मेरे प्यारे प्राइम मिनिस्टर’ के खत्म होते ही आपको लगता है कि अरे, अभी तो फिल्म शुरु ही हुई थी। लेकिन राकेश फिल्म में बेवजह का मॉरल नहीं ठूंसते, वो किरदारों को उनका काम करने देते हैं और कहानी साथ साथ बह जाती है।

सिस्टम पर फिल्म बनाने की कला उन्हें अच्छी तरह से आती है और इस हफ्ते अगर खाली हैं तो इस फिल्म को ज़रुर देखिए क्योंकि इस साल की ऑस्कर एंट्री बनने लायक फिल्म है – मेरे प्यारे प्राइम मिनिस्टर।

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