जानिए…जब भक्त के प्राणों की रक्षा के लिए मां दुर्गा ने काटा था अपना शीश

प्राणों की रक्षामां दुर्गा के अनेक प्राचीन मंदिर हैं, जहां नवरात्र पर अनोखी रौनक होती है। ऐसा ही एक प्राचीन मंदिर है- मां छिन्नमस्तिका शक्तिपीठ। यह मंदिर झारखंड के रामगढ़ जिले में राजरप्पा नामक स्थान पर स्थित है। यहां बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल से आने वाले श्रद्धालुओं की काफी तादाद होती है।

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मंदिर में स्थापित प्रतिमा में रक्त की धारा दिखाई देती है। देवी का शीश कटा हुआ है और देह से रक्त की धारा बह रही है। प्राचीन समय से ही यह मंदिर तांत्रिक गतिविधियों के लिए प्रसिद्ध है। इसकी झलक मंदिर की वास्तुकला में भी दिखाई देती है।

मुख्य मंदिर के अलावा यहां 10 अन्य मंदिर भी हैं, जो विभिन्न देवी-देवताओं को समर्पित हैं, जैसे – सूर्यदेव, शिवजी और हनुमानजी। देवी का मंदिर दामोदर और भैरवी के संगम के पास स्थित है। यहां दो दिव्य जलकुंड स्थित हैं। इनके बारे में मान्यता है कि ये असाध्य चर्मरोग को भी ठीक कर सकते हैं।

कथा के अनुसार, एक बार देवी भवानी अपनी दो सखियों जया तथा विजया के संग मंदाकिनी में स्नान करने गईं। स्नान के पश्चात उनकी सखियों को भूख लगी। जब भूख सहनशक्ति से बाहर हो गई तो देवी ने खड्ग से अपना ही शीश काट दिया। इससे रक्त की धारा बहने लगी।

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इनमें दो धाराओं का पान सखियों ने तथा तीसरी धारा का पान स्वयं देवी ने किया। इस कथा का यह संदेश है कि भक्त की श्रद्धा सच्ची हो तो मां उसकी कामना अवश्य पूर्ण करती है। चाहे संसार की दृष्टि में वह असंभव ही क्यों न हो।

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