राज्यसभा में जगदीप धनखड़ और मल्लिकार्जुन खड़गे में तकरार, कहा ‘आपके लिए चिंतन का समय…’

राज्यसभा में धन्यवाद प्रस्ताव पर जोरदार बहस जारी रही, जिसमें उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और मल्लिकार्जुन खड़गे में उनकी टिप्पणियों के लिए तकरार देखने को मिलो।

धनखड़ ने खड़गे की टिप्पणियों को काटते हुए कहा कि अब समय आ गया है कि विपक्ष के नेता “चेयर के प्रति अपनी उपेक्षा” पर “चिंतन” करें। खड़गे ने कहा , “न तो जयराम रमेश मुझे सत्ता दे सकते हैं, न ही आप” जिसके बाद धनखड़ ने तीखी टिप्पणी की। राज्यसभा के सभापति ने खड़गे को उनकी टिप्पणी पर जवाब देते हुए कहा, “आप हर बार चेयर पर दबाव नहीं बना सकते। आप हर बार चेयर का अनादर नहीं कर सकते… आप अचानक खड़े हो जाते हैं और जो कुछ भी कहना चाहते हैं, उसे बिना समझे बोलते हैं।” धनखड़ ने कहा, “इस देश और संसदीय लोकतंत्र और राज्यसभा की कार्यवाही के इतिहास में कभी भी आसन के प्रति ऐसी अवहेलना नहीं हुई, जैसी आप लोगों ने की… आपके लिए आत्मचिंतन का समय है… आपकी गरिमा पर कई बार हमला किया गया है… मैंने हमेशा आपकी गरिमा की रक्षा करने की कोशिश की है।”

उन्होंने कहा, “मेरे पास बहुत धैर्य है, मैंने इस अपमान को बहुत सहन किया है, फिर भी आप खड़े होकर मेरे शब्दों को तोड़-मरोड़ कर पेश करते हैं। कल का दिन बहुत भयानक था, फिर भी मैं हमेशा आपकी गरिमा की रक्षा के लिए खड़ा रहा हूँ।” सोमवार को राज्यसभा में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के मुद्दे पर धनखड़ और खड़गे के बीच तीखी नोकझोंक हुई थी। राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान विपक्ष के नेता खड़गे ने आरोप लगाया कि हमारी शिक्षा प्रणाली पर भाजपा और आरएसएस के लोगों ने कब्जा कर लिया है।

उन्होंने सोमवार को कहा, “विश्वविद्यालयों के कुलपति, प्रोफेसर, एनसीईआरटी और सीबीएसई सभी आरएसएस के लोगों के नियंत्रण में हैं और अच्छे विचारों वाले लोगों के लिए वहां कोई जगह नहीं है।” धनखड़ ने कहा कि इन टिप्पणियों को रिकार्ड से हटा दिया जाएगा तथा ऐसे किसी संगठन का सदस्य होना कोई अपराध नहीं है। उन्होंने बहस को सांप्रदायिक रंग दिए जाने की निंदा की।

उन्होंने कहा, “खड़गे जी, यह रिकॉर्ड में नहीं जाएगा। मैं इसे हटा रहा हूं… क्या किसी संगठन का सदस्य होना अपराध है? आप यही कह रहे हैं, आप पाखंडी जैसे शब्दों का इस्तेमाल कर रहे हैं। मैं इसकी अनुमति कैसे दे सकता हूं? आप कह रहे हैं कि एक संगठन ने कब्जा कर लिया। यह गलत है। मान लीजिए कि कोई व्यक्ति आरएसएस का सदस्य है, तो क्या यह अपने आप में अपराध है? इसमें सांप्रदायिक क्या है?”

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