भारत के पुत्र-पुत्रियों का भाव भूलने से देश में विखंडन : मोहन भागवत

मोहन भागवतबैतूल| राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने यहां रविवार को कहा कि ‘हम सभी समान पूर्वजों के वंशज हैं, धर्म एक है मगर आचार धर्म बदलता रहता है। हम भारत के पुत्र-पुत्री का भाव भूल गए हैं, इसलिए विखंडन हुआ है।’ मध्यप्रदेश के बैतूल जिले के भारत भारती आवासीय विद्यालय में चल रहे तीन दिवसीय ग्राम विकास कार्यकर्ता सम्मेलन के समापन मौके पर रविवार को भागवत ने कहा, “संघ की सभी गतिविधियां समाज परिवर्तन का साधन हैं।

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साधारणतया परिवर्तन के नाम पर राज्य व्यवस्था बदल जाती है, पर उससे सभी बीमारी ठीक नहीं होती है। समाज के स्वभाव में परिवर्तन होना चाहिए। हमें धर्म आचरण करने वाला समाज बनाना है। गड़बड़ कभी भी साधनों में नहीं होती, बल्कि साधन चलाने वालों में होती है। हम धर्म का आधार लेकर विश्व कल्याण के लिए चलने वाले लोग हैं।”

भागवत ने दानवीर प्रहलाद की कहानी सुनाते हुए कहा, “राजपाट मिलने के बाद इंद्र ने उससे सत्व मांगा था, राज नहीं। सत्व के साथ बल-तेज और लक्ष्मी भी उससे दूर चले गए। ऐसा इसलिए, क्योंकि सत्व जहां रहेगा वहीं ये तीनों रहते हैं। अपने देश का हाल भी यही है।”

उन्होंने कहा, “हम सत्व भूले, इसलिए हमारा ज्ञान, वैभव सब चला गया। हमें समाज में पुन: सत्व पैदा करने की आवश्यकता है। इसीलिए संघ के स्वयंसेवकों ने सामाजिक समरसता, धर्म जागरण, ग्राम विकास, कुटुम्ब प्रबोधन, गौरक्षा की गतिविधियां समाज में प्रारंभ की है।”

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भागवत ने ग्राम विकास से जुड़े विभिन्न विषयों पर कार्यकर्ताओं से चर्चा की। तीन दिवसीय इस आयोजन में देशभर से चार सौ से अधिक कार्यकर्ताओं ने सहभागिता की। कार्यकर्ताओं ने जहां भारत भारती प्रकल्प देखे, वहीं जिले के दस ग्रामों का भ्रमण कर बैतूल जिले में चल रहे ग्राम विकास को भी जाना।

संघ के अन्य अखिल भारतीय अधिकारी, अखिल भारतीय ग्राम विकास प्रमुख डॉ़ दिनेश कुमार, अखिल भारतीय गौसेवा प्रमुख शंकरलाल, क्षेत्र प्रचारक अरुण जैन, प्रांत प्रचारक अशोक पोरवाल, सह प्रांत प्रचारक राजमोहन सिंह भी सम्मेलन में तीन दिन मौजूद रहे।

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