केंद्रीय राज्यमंत्री से मुलाकात कर 1000 रुपए तक बिकने वाले कपड़ा रेडीमेड जूता पर GST ने बढाने की मांग

केंद्र सरकार ने कपड़ा और जूते जैसे तैयार माल पर GST को 5 फीसदी से बढ़ाकर 12 प्रतिशत कर दिया है। इस टैक्‍स स्‍लैब में नया बदलाव 1 जनवरी, 2022 से लागू हो जाएगा। इस बढ़ोत्‍तरी के फैसले को केंद्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC) ने गत 18 नवंबर को अधिसूचित भी कर द‍िया। वहीं, व्‍यापार‍िक संगठन सीटीआई ने कपड़ों पर लगने वाले 12 प्रतिशत जीएसटी का विरोध कर रहे हैं। इसी कड़ी में लखनऊ व्यापार मंडल के पदाधिकारियों ने भी शनिवार को केंद्रीय राज्य मंत्री कौशल किशोर से मुलाकात की। साथ ही इस संबंध में पदाधिकारियों ने केंद्रीय राज्य मंत्री को एक ज्ञापन भी सौंपा हैं। इस प्रतिनिधिमंडल में मुख्य रूप से अध्यक्ष राजेंद्र कुमार अग्रवाल, वरिष्ठ महामंत्री अमरनाथ मिश्र, मीडिया महामंत्री अभिषेक खरे, महामंत्री अनुराग मिश्रा, उमेश शर्मा मौजूद रहे।

जानें क्या है मांग

लखनऊ व्यापार मंडल के वरिष्ठ महामंत्री अमरनाथ मिश्र ने बताया कि जीएसटी काउंसिल के द्वारा 1 जनवरी 2022 से कपड़ा रेडीमेड जूता पर जीएसटी दर 5% से बढ़ाकर 12 प्रतिशत करना प्रस्तावित किया है। यदि 1 जनवरी से जीएसटी दर लागू होती है तो व्यापारियों के ऊपर 7% अधिक टैक्स स्टाक के ऊपर देना होगा जैसे किसी व्यापारी के पास 50 लाख रुपए का स्टाक शेष बचता है तो उसको 3 लाख 50 हजार अधिक टैक्स 1 जनवरी को चुकता करना पड़ेगा। 1000 तक बिकने वाली वस्तु छोटे मध्यम गरीब लोग ही पहनते हैं जिसका सीधा असर गरीबों लोगों को पड़ेगा। हमारे यहां लगभग 70 से 80 प्रतिशत जनसंख्या गांव देहात या छोटे शहरों में निवास करती है। आम व्यापारी के साथ- साथ आम जनता भी महंगाई से परेशान होगी है। ऐसे में हमारी सरकार से मांग है कि 1000 तक बिकने वाले कपड़े जूता रेडीमेड आदि पर पूर्व की भांति 5 प्रतिशत ही जीएसटी कर लगाया जाए।

ऑनलाइन व्यापार पर लगे अतिरिक्त टैक्स

वहीं, ऑनलाइन व्यापार पर जीएसटी के अतिरिक्त 10 प्रतिशत अधिक टैक्स लगाया जाए क्योंकि बहुराष्ट्रीय कंपनियां यह कारोबार कर रही हैं इन कंपनियों की वजह से खुदरा व्यापार प्रदेश एवं देश से समाप्त हो जाएगा पूर्व की सपा सरकार के द्वारा उत्तर प्रदेश में ऑनलाइन कंपनियों पर 10 प्रतिशत प्रवेश शुल्क लगाकर प्रतिस्पर्धा को समाप्त किया था इसी भांति पूरे देश में इन कंपनियों के ऊपर 10 प्रतिशत जीएसटी के अतिरिक्त टैक्स लगाया जाए।

राजस्व विलंब से जमा करने पर ब्याज की दर 18 प्रतिशत अधिक है

अमरनाथ मिश्र ने बताया की यदि जीएसटी में व्यापारी का टैक्स अधिक जमा हो जाता है तो सरकार के द्वारा उसे 6% की दर से ब्याज दिया जाता है जबकि व्यापारी द्वारा विलंब से टैक्स का भुगतान करने पर उसे 18% की दर से ब्याज देना पड़ता है जो कि व्यवहारिक एवं अन्याय पूर्ण है ब्याज दर में 12% का अंतर अधिक है दोनों पक्षों को समान दर से अर्थात 6% दर होनी चाहिए अथवा यदि सरकार द्वारा 6% की दर से ब्याज मिलता है तो व्यापारी के बकाए पर 9% की दर से ही ब्याज लिया जाए।

फूड सेफ्टी एक्ट की विसंगतियां दूर करने के संबंध में

वहीं, अध्यक्ष राजेंद्र कुमार अग्रवाल ने बताया खाद्य पदार्थ का कारोबार करने वाले व्यापारी को दुकान के अतिरिक्त यदि उसके पास गोदाम स्थल हैं तो दोनों के लिए अलग-अलग पंजीकरण कराना पड़ता है उसके लिए अलग से ही पंजीकरण शुल्क भी देना पड़ता है 1 अक्टूबर 2021 से बिल के ऊपर फूड लाइसेंस सेफ्टी नंबर डालना अनिवार्य कर दिया गया है यदि एक व्यापारी के पास 5 गोदाम हैं तो सभी का फूड सेफ्टी नंबर डालना होगा। जीएसटी की भांति व्यापार स्थल के साथ गोदाम को जोड़ने की सुविधा होनी चाहिए इससे फूड सेफ्टी नंबर एक ही रहेगा इससे बिल पर लिखने में भी आसानी होगी।

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