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डॉक्टरों की कमीनई दिल्ली। मोदी सरकार ने देश में डॉक्टरों की कमी को दूर करने के लिए एक बड़ा फैसला लिया है। केंद्र सरकार के इस फैसले के बाद देश के स्वास्थ्य क्षेत्र में तो काफी सुधार आएगा ही, साथ ही साथ सभी सरकारी डॉक्टरों के चेहरे भी खिल उठेंगे। क्योंकि अब तक जो डॉक्टर 62 साल की उम्र में रिटायर होते थे। मोदी सरकार ने उनकी रिटायरमेंट की उम्र सीमा बढ़ाकर 65 साल कर दी है। केंद्रीय मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने इस बात की जानकारी दी।

प्रसाद ने मीडिया से बात करते हुए यह भी बताया कि इनमें वह डॉक्टर शामिल नहीं हैं जो सेंट्रल हेल्थ सर्विस से आते हैं। गौरतलब है कि बीते जुलाई माह में केंद्र सरकार ने असम राइफल्स और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल के जनरल ड्यूटी मेडिकल अफसरों की भी रिटायरमेंट की उम्र बढ़ा दी थी। अब उन्हें भी 65 वर्ष की उम्र में ही रिटायरमेंट मिलेगा।

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प्रसाद ने बताया कि केंद्रीय कैबिनेट के द्वारा लिए गए इस फैसले के बाद अब देश में डॉक्टरों की कमी काफी हद तक दूर हो सकेगी और डॉक्टर अब लंबे समय तक अपनी सेवाएं दे पाएंगे। बता दें कि आज भी देश के ग्रामीण इलाकों के ज्यादातर लोग सरकारी डॉक्टरों पर ही निर्भर रहते हैं।

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इसके अलावा गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने बैठक के दौरान यह भी बताया कि नॉर्थ ईस्ट को भी सौ करोड़ रुपये अतिरिक्त देने के फैसले पर भी मुंहर लग गई है। नॉर्थ ईस्ट को दिए जाने वाले इस फंड से वहां की पुलिस इंफ्रास्ट्रक्चर के अलावा ट्रेनिंग संस्थान व जांच सुविधाएं दी जाएंगी। इसके साथ ही साथ अगले तीन सालों में 25,060 करोड़ रुपए खर्च कर अंब्रेला स्कीम के तहत सीसीएस के साथ पुलिस को मॉडर्नाइज भी किया जाएगा। इस फैसले के अलावा भी कई बड़े फैसले लिए गए हैं जिसके तहत लखनऊ मेट्रो रेल को एयरपोर्ट से 1899 वर्ग मीटर जमीन देने के फैसले को भी हरी झंडी दिखा दी गई है।

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