अवैध तरीके से हो रही हैं मीट की दुकानें संचालित

प्रवीन संवल

स्लाटर हाउसरुद्रप्रयाग। जनपद मुख्यालय पर प्रशासन के संरक्षण में मांस का अवैध कारोबार खूब फल-फूल रहा है। मुख्यालय समेत पूरे जनपद में कहीं भी शलाटर हॉउस नहीं है, बावजूद इसके दर्जनों मीट-मांस की दुकानें यहां संचालित हो रही हैं। बिना चिकित्सकीय परीक्षण के बीमार बकरियों व मुर्गों को मीट कारोबारियों द्वारा काटा व बेचा जा रहा है। सबसे अहम बात यह है कि बाहरी प्रदेशों से बीमार बकरों को यहां लाया जा रहा है और उंचे दामों पर मांस को बेचा जा रहा है।

मीट कारोबारियों को नहीं मुहैया शलाटर हॉउस

लम्बे समय से नगर समेत जिले में मीट कारोबारियों  द्वारा शलाटर हॉउस खोलने की मांग की जा रही है। मगर अभी तक शलाटर हॉउस नहीं बन पाया है। ऐसे में यहां बिना चिकित्सकीय परीक्षण के बीमार बकरों को काटा जा रहा है। यहां पर राजस्थान व दिल्ली की मंडियों से बूढ़ी व बीमार हो चुकी बकरियों को कम दामों पर उठाया जाता है और फिर यहां चार से साढे चार सौ रुपये प्रति किलो के हिसाब से इनका मांस बेचा जाता है। व्यापार संघ भी कई बार पालिका प्रशासन को कह चुका है मगर आज तक भी मीट व्यवसाइयों को शलाटर हॉउस नहीं मिल पाया है। जिससे मांस का अवैध कारोबार प्रशासन के संरक्षण में यहां खूब फल-फूल रहा है।

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जिले के मुख्य पशु चिकित्साधिकारी ने तो साफ कहा है कि बिना चिकित्सकीय परीक्षण के बकरी व मुर्गों को काटा जाना अवैधानिक है और इस पर प्रशासनिक कार्यवाई होनी चाहिए। अगर पालिका शलाटर हॉउस बनाती है तो उनके द्वारा चिकित्सक को तैनात कर दिया जायेगा। वहीं नगर क्षेत्र में प्रशासनिक व्यवस्थाओं का जिम्मा सम्भाले पालिका के अधिशासी अधिकारी का कहना है कि उनके द्वारा शलाटर हॉउस की डीपीआर शासन को भेजी गयी है, लेकिन मौजूदा समय में मांस के कारोबार को किस नियम के तहत संचालित किया जा रहा है इस सवाल पर उनके पास कोई जवाब नहीं है।

मानकों की बात करें तो व्यवसायिक प्रतिष्ठानों में बिना चिकित्सकों के परीक्षण किये बगैर मांस की दुकानें संचालित नहीं हो सकती हैं, लेकिन जनपद मुख्यालय पर खुल्लम-खुल्ला मांस का अवैध तरीके से कारोबार प्रशासन की नाक के नीचे हो रहा है। उसमें भी बड़ी बात यह है कि मुख्यालय का मीट बाजार सरकारी दुकानों पर संचालित है, ऐसे में कहीं ना कहीं साफ है कि मांस के इस अवैध कारोबार में सरकारी तन्त्र की भी मिलीभगत जरुर है।

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