प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने उद्योगपति अनिल अंबानी के अनिल धीरूभाई अंबानी ग्रुप (एडीए ग्रुप) से जुड़े एक प्रमुख अधिकारी को धन शोधन (मनी लॉन्ड्रिंग) के आरोप में गिरफ्तार कर लिया है। न्यूज एजेंसी पीटीआई के अनुसार, रिलायंस पावर लिमिटेड के मुख्य वित्तीय अधिकारी (सीएफओ) और कार्यकारी निदेशक अशोक कुमार पाल को शुक्रवार रात दिल्ली में हिरासत में लिया गया।
पाल, जो अंबानी के करीबी सहयोगी माने जाते हैं, को धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) की धाराओं के तहत गिरफ्तार किया गया है। शनिवार सुबह 9:30 बजे उन्हें दिल्ली कोर्ट में पेश किया जाएगा।
यह गिरफ्तारी एडीए ग्रुप की कई कंपनियों से जुड़े हजारों करोड़ रुपये के बैंक धोखाधड़ी मामलों की जांच का हिस्सा है। ईडी के अधिकारियों के मुताबिक, पाल ने फर्जी बैंक गारंटी (फेक बैंक गारंटी) और फर्जी इनवॉइसिंग (फेक इनवॉइसिंग) के जरिए वित्तीय अनियमितताओं में केंद्रीय भूमिका निभाई। खासकर, सोलर एनर्जी कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (एसईसीआई) को जमा कराई गई 68 करोड़ रुपये की फर्जी बैंक गारंटी का मामला प्रमुख है। इसके अलावा, येस बैंक से लगभग 3,000 करोड़ रुपये के लोन की अनियमित वसूली और फंड डायवर्शन (धन हस्तांतरण) की जांच चल रही है। कुल मिलाकर, यह 17,000 करोड़ रुपये के लोन फ्रॉड से जुड़ा है, जिसमें येस बैंक के पूर्व सीईओ राणा कपूर और अनिल अंबानी के बीच साजिश का आरोप है।
ईडी की जांच में सामने आया है कि पाल को रिलायंस पावर के बोर्ड द्वारा एसईसीआई के बैटरी एनर्जी स्टोरेज सिस्टम (बीईएसएस) टेंडर से जुड़े सभी दस्तावेजों को अंतिम रूप देने, अनुमोदित करने और हस्ताक्षर करने का अधिकार दिया गया था। एजेंसी का दावा है कि पाल ने सार्वजनिक धन को प्रभावित करने वाली इन अनियमितताओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इससे पहले, अगस्त 2025 में ईडी ने मुंबई में 35 स्थानों पर छापेमारी की थी, जिसमें 50 कंपनियों और 25 व्यक्तियों से जुड़े दस्तावेज जब्त किए गए थे। अनिल अंबानी को भी इसी महीने पूछताछ के लिए समन किया गया था।
सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (सीबीआई) ने भी दो भ्रष्टाचार मामलों में चार्जशीट दाखिल की है, जिसमें अंबानी और कपूर पर साजिश रचकर येस बैंक के सार्वजनिक फंड्स को वित्तीय रूप से कमजोर एडीए ग्रुप की कंपनियों में डायवर्ट करने का आरोप है। जून 2025 में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) ने रिलायंस कम्युनिकेशंस (आरकॉम) और अंबानी के लोन खातों को ‘फ्रॉड’ घोषित कर आरबीआई को सूचित किया था। बॉम्बे हाईकोर्ट ने भी एसबीआई के इस फैसले को सही ठहराया।
रिलायंस होम फाइनेंस लिमिटेड (आरएचएफएल) और रिलायंस कमर्शियल फाइनेंस लिमिटेड (आरसीएफएल) से 12,524 करोड़ रुपये के लोन दिए गए थे, जिनमें से अधिकांश एडीए ग्रुप की कंपनियों को मिले। इनमें से 6,931 करोड़ रुपये गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) घोषित हो चुके हैं।
ईडी का आरोप है कि ये फंड ग्रुप की अन्य कंपनियों में ‘सर्कुलर लेंडिंग’ के जरिए घुमाए गए। सेबी ने भी अंबानी और वरिष्ठ अधिकारियों को पांच साल के लिए सिक्योरिटीज मार्केट से प्रतिबंधित कर जुर्माना लगाया था।





