LIVE TODAY SPECIAL: हिन्दू, हिन्दुत्व, हिन्दुस्तान
कोई धर्म या समुदाय महफूज है ये दावा हम सब कर सकते हैं। ये सवाल अगर आप किसी से पूछें तो लोग अपने अपने तरीके से आपको जबाव देंगे। कोई कहेगा कि धर्म का एक राष्ट्र होना चाहिए नहीं तो उसका अस्तित्व खत्म हो जाएगा। कोई कहेगा कि जिस धर्म के लोगों की जन्मदर अच्छी होगी वो उतना ही महफूज होगा क्योंकि उसके पास धर्म के लिए लड़नेवाले ज्यादा होंगे। कुछ लोग ये कहेंगे अगर कोई धर्म ज्यादा अहिंसा और सहिष्णुता पढ़ाएगा उसको भी लोग घेरे लेंगे लेकिन एक तबका ऐसा भी होगा जो कहेंगे ये सब तो ठीक है लेकिन धर्म से बढ़कर है इंसानियत। इसका चौथा जवाब यह हो सकता है कि धर्म से बढ़कर है इंसानियत। यानी आपको इस एक सवाल के कई जवाब मिल जाएंगे लेकिन आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि हिन्दू धर्म और दूसरे तमाम धर्म इन दिनों कहां खड़े हैं।
लगभग सभी धर्मों में ये सीख दी जाती है कि खून-खराबे से कभी किसी को कुछ भी हासिल नहीं हुआ है। लिहाजा धर्म से ज्यादा ध्यान विकास पर दें तो ज्यादा बेहरत है लेकिन अगर हम इस बात से इत्तेफाक रखें तो क्या हमारा अस्तित्व बचा रह पाएगा। ये सवाल इसलिए है क्योंकि खून खराबे ने ही तमाम धर्मों के अस्तित्व को संकट में ला दिया है।
अब पूरी बात जानिए आंकड़ो के साथ
दुनिया की आबादी लगभग 7 अरब से ज्यादा है
ईसाई, मुस्लिम, यहूदी और बौद्ध राष्ट्र अस्तित्व में हैं
ईसाई और मुस्लिम आबादी का ज्यादातर राष्ट्रों में दबदबा है
2.2 अरब ईसाई और सवा अरब मुसलमान आबादी है
दुनिया में 2.2 अरब के करीब बौद्ध आबादी भी है
ईसाई और मुसलमान आबादी वाले राष्ट्रों में अल्पसंख्यक खतरे में हैं
दुनिया में हिन्दुओं की आबादी 13.95 प्रतिशत है
नेपाल कभी एक हिन्दू राष्ट्र हुआ करता लेकिन अब धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है
कभी दुनिया के आधे हिस्से पर हिन्दुओं का शासन हुआ करता था
भारत में हिन्दू धर्म की स्थिति
दुनिया में हिन्दू धर्म की क्या स्थिति है पहले उस पर गौर करें उसके बाद आपको समझ आएगा कि अतीत का असर कैसे इस धर्म पर पड़ है।
विभाजन में 30 करोड़ आबादी वाले भारत से 1.50 करोड़ हिन्दू दर-ब-दर हुए
करीब 1 लाख महिलाओं का बलात्कार और हत्या हुई हजारों बच्चों का कत्ल हुआ
विभाजन की सबसे ज्यादा त्रासदी सिन्धी, पंजाबी और बंगालियों ने झेली
1947 में आजादी के बाद करीब 1.50 करोड़ लोग अपनी जड़ों से उखड़ गए
महीनों तक चले दंगों में कम से कम 10 लाख लोगों की मौत हुई
1951 में पाकिस्तान में 22% हिन्दू थे, 1998 में हिन्दुओं की आबादी 1.6% रह गई
भारत में 1941 में हिन्दू 29.4 करोड़, मुस्लिम 4.3 करोड़ और बाकी लोग दूसरे धर्मों के थे
1965 से अब तक लाखों पाकिस्तानी हिन्दुओं ने भारत की तरफ पलायन किया
जम्मू-कश्मीर में हिन्दुओं का प्रतिशत 29.63 से घटकर 28.44 रह गया है
विभाजन के बाद सिन्धी और पंजाबी हिन्दुओं के साथ सबसे ज्यादा अत्याचार हुआ
आफगानिस्तान कैसे बना हिन्दू बाहुल से मुस्लिम बाहुल
ये हिन्दू राष्ट्र था बाद में बौद्ध राष्ट्र बना और इसके बाद इसका इस्लामीकरण हुआ
पठान पख्तून होते हैं जिनको पहले पक्ता कहा जाता था इनका जिक्र वेदों में है
ऋग्वेद के चौथे खंड के 44वें श्लोक में पख्तूनों का वर्णन ‘पक्त्याकय’ नाम से मिलता है
तीसरे खंड का 91वें श्लोक आफरीदी कबीले का जिक्र ‘आपर्यतय’ के नाम से है
अंग्रेजी शासन में पिंडारियों के रूप में लड़ने वाले पठान और जाट थे
कभी हिंदू और सिख अफगान समाज का समृद्ध तबका हुआ करता था
देश में इस तबके की आबादी लगभग 25% से ज्यादा हुआ करती थी
1992 में काबुल में तख्तापलट के वक्त यहां 2 लाख 20 हजार हिंदू और सिख परिवार थे
काबुल में अब 220 और पूरे अफगानिस्तान में लगभग 1350 हिन्दू परिवार बचे हैं
कभी पूरे अफगानिस्तान में फैले हिन्दू अब नांगरहार, गजनी और काबुल में ही हैं
अफगान सरकार, UNO और अंतरराष्ट्रीय वर्ग ने इन हिन्दुओं की बात कभी नहीं की
इन दो देशों में हिन्दुओं की आबादी के आंकड़े देखकर आप अंदाजा लगा सकते हैं कि अतीत में हिन्दू धर्म के साथ कितना अन्याय किया गया है। ऐसे में क्या ये सवाल नहीं पूछा जाना चाहिए कि आखिर इतने हिन्दू कहां गए। ये आबादी कम कैसे हुई और अगर आप ऐसे में धर्म की बात करें तो आप लोगों की आंख की किरकिरी हो जाएंगे।
पुराणों में धर्म को लेकर कहा गया है
यतोभ्युदय निह्श्रेयस सिद्धिः स धर्मः
अर्थात
धर्म एक प्रकार की व्यवस्था है जो मनुष्य को अपनी इच्छाओं को संयमित करने को प्रोत्साहित करती है, एक आदर्श जीवन जीने का मार्ग देती है और समस्त भौतिक जीवन जीते हुए भी दैवीय तत्व और शाश्वत सत्य की अनुभूति के लिए क्षमता प्रदान करती है
धारणात धर्ममित्याहु धर्मो धारयति प्रजाः
अर्थात
वह शक्ति जो व्यक्तियों को एकत्रित लाती है और समाज के रूप में धारण करती है– धर्म है
कहते हैं कि धर्म मनुष्य को सभ्य बनाता है, यहीं से सभ्यता और संस्कार की बात शुरू होती है लेकिन सदियों से हिन्दू समाज को बिखरा हुआ देखने की आदत सी हो गयी है, इसलिए धार्मिक उन्माद फ़ैलाने वाले तत्वों को इससे तकलीफ होती है की हिन्दू कभी इकठ्ठा होने की सोचे भी। यही वजह है कि हिन्दुओं को बांटने का काम लगातार किया जाता रहा है।
हिन्दू धर्म कहता है…
सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु माः कश्चित् दुःख भाग्भवेत
अर्थात
सभी सुखी हों, सभी निरोगी हों , सभी भद्र (अच्छा,शुभ) देखें, किसी को भी दुःख (के भाग) की प्राप्ति न हो।
अब अगर इसी श्लोक की बात की जाए तो इसमे किसी धर्म के साथ भेदभाव का जिक्र नहीं है। ऐसा भी नहीं है कि सिर्फ और सिर्फ हिन्दुओं के कल्याण की बात है। यानी इस श्लोक से बेहतर को मानवता की परिभाषा नहीं हो सकती।
कैसे हुआ धर्म का बंटवारा ?
देश आज़ादी के साथ धर्म के आधार पर बंटवारा शुरू हुआ
जो भारतीय सभ्यता नहीं अपना पाए वो पाकिस्तान चले गए
प्रमाण हैं कि धर्मांध संप्रदाय ने व्यापक खून खराबा किया है
शांति से जीने वाले देशों में मुस्लिम आबादी बढ़ने से हिंसा बढ़ी
हिन्दू और हिन्दुस्तान हजारों सालों तक ऋषि मुनियों की संगत में पला
हिन्दू धर्म का इतिहास कहता है कि ये धर्म हमेशा लोगों को साथ लेकर चला है। जहां भी हिन्दू बहुसंख्यक रहा है वहां कभी दूसरे धर्म को खतरा पैदा नहीं हुआ लेकिन जहां इस्लाम बहुसंख्यक हुआ वहां से दूसरे धर्म के लोग या तो पलायन कर गए या उनका धर्म परिवर्तन करा दिया गया या उनका कत्लेआम किया गया।
हिन्दू-मुस्लिम आबादी के आंकड़े
1947 में हिन्दू जनसँख्या 33 करोड़ या कुल आबादी की 90% थी
33 करोड़ आबादी में सिख, जैन और बैद्ध धर्म के लोग भी शामिल थे
1947 में मुस्लिम आबादी 3 करोड़ थी यानी कुल आबादी का 8%
2008 में हिन्दुओं की आबादी 4% सालाना की दर से बढ़ी और 82 करोड़ हुई
मुस्लिम आबादी 13% सालाना की दर से बढ़कर 24 करोड़ हो गई इसमें बांग्लादेशी भी हैं
बीते 7 दशकों के आकंड़ों के हिसाब से 2015 तक मुस्लिम बहुसंख्यक होंगे
दुनिया भर में खत्म हो रहा इन 10 धर्मों का अस्तित्व
अब जरा दुनिया के दूसरे देशों की बात करते हैं। मुस्लिम बहुल देश जैसे बोस्निया, लेबनान ,सीरिया ,गाजा ,पाकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान जैसे मुस्लिम देशों में गैर मुस्लिमों का क्या हाल हुआ। भारत में बीते एक हजार सालों के इतिहास को देखें तो मुस्लिम और तुर्क शासकों ने यहां जमकर कत्लेआम किया गैर संप्रदाय के लोगों का और आजादी के बाद से अगर आंकड़े देखें कट्टर धर्मगुरुओं ने मुस्लिमों में शिक्षा का प्रचार होने से रोका है। यही कारण है कि सबसे कम महिला साक्षरता मुस्लिमों में है इसके अलावा जब मदरसों को आधुनिक बनाने की बात की जाती है तो कट्टरता का बीज बोने वाले धार्मिक नेता चिल्लाने लगते हैं।
कोई धर्म या समुदाय सुरक्षित कब माना जाता है? इसका सीधा सा जवाब है कि जब वहां की आबादी का मूल हिस्सा बचा रहे। अब आपको ऐसे धर्मों के बारे में बताते हैं जो खतरे में हैं और क्यों खतरे में है ये आप खुद इन आंकड़ों से समझ सकते है।
कौन से धर्म खतरे में ?
1.पारसी धर्म
पारसी समुदाय मूलत: ईरान का रहने वाला है
ईरान कभी पारसी राष्ट्र हुआ करता था
पारसियों में कई महान राजा, सम्राट और धर्मदूत हुए हैं
ये ईरान का प्राचीन धर्म था जो अब अपना राष्ट्र खो चुका है
रोमन और ब्रिटेन साम्राज्य में इस धर्म का विस्तार हुआ
पारसी समुदाय को आर्यों की एक शाखा माना जाता है
6ठीं सदी के पूर्व तक पारसी समुदाय के लोग ईरान में ही रहते थे
7वीं सदी में इस्लामिक क्रांति होने के बाद ये खतरे में आ गया
8वीं शताब्दी में फारस में इस्लामिक कानून लागू किया गया
बड़े स्तर पर धर्मांतरण और लोगों को सजाएं देना शुरू हुआ
लाखों पारसी समुदाय के लोग पूरब में पलायन कर गए
766 ईस्वी में पारसी समुदाय दीव गुजरात के दीव पहुंचा
भारत में पहली पारसी बस्ती सूरत के पास बना अग्नि स्तंभ है
1941 तक करीब 1.50 लाख पारसी थे अब 57,264 रह गए हैं
2. यहूदी धर्म
करीब 4,000 साल पुराना यहूदी धर्म वर्तमान में इजरायली का राजधर्म है
यहूदी मिस्र से लेकर इजरायली तक संपूर्ण अरब में निवास करते थे
मिस्र की नील नदी से लेकर इराक की दजला-फरात नदी तक इनका कब्जा था
यहूदी मिस्र के इजिप्ट धर्म के राजा फराओ के शासन के अधीन रहते थे
ईसा के 1,100 साल पहले जैकब की 12 संतानों ने अलग-अलग यहूदी कबीले बनाए
ये कबीले दो गुटों में बंटे पहला 10 कबीलों का गुट इजरायल कहलाया
7वीं सदी में इस्लाम के आगाज के बाद यहूदियों की मुश्किलें बढ़ गईं
तुर्क और मामलुक शासन के समय यहूदियों को इजरायल से पलायन हुआ
मई 1948 में इसराइल को फिर से यहूदियों का स्वतंत्र राष्ट्र बनाया गया
दुनियाभर में इधर-उधर बिखरे यहूदी आकर इसराइली क्षेत्रों में बसने लगे
इस वक्त ये धर्म अरबों और फिलिस्तीनियों के साथ युद्धों में उलझा है
यहूदियों की आबादी 1.4 करोड़ के आसपास है जिसकी हिस्सेदारी मात्र 0.20 % है
यहूदी धर्म से ही ईसाई और इस्लाम धर्म की उत्पत्ति मानी गई है
3. यजीदी
ये धर्म प्राचीन विश्व की प्राचीनतम धार्मिक परंपराओं में से एक है
अरब में यजीदियों की यह परंपरा 6,763 वर्ष पुरानी है
यहूदियों, ईसाइयों और मुसलमानों से पहले से यह परंपरा है
यजीदी धर्म को हिन्दू धर्म की एक शाखा माना जाता है
ISIS के कारण अल्पसंख्यक यजीदी समुदाय को पलायन करना पड़ा
यजीदियों की संख्या करीब 10 लाख बताई जाती है
4. जैन धर्म
ऋषभदेव और अरिष्टनेमि को लेकर जैन धर्म की परंपरा का वर्णन है
महाभारतकाल में इस धर्म के प्रमुख नेमिनाथ थे
भगवान बुद्ध के अवतरण के पहले तक जैन दूसरा बड़ा धर्म था
मगध में जैन धर्म प्रमुख धर्म था लेकिन धीरे-धीरे इसकी आबादी घटी
इस्लामिक काल के दौरान इस धर्म का दमन चक्र शुरू हुआ
इस्लामिक काल में जैन और बौद्ध मंदिरों को निशाना बनाया गया
इन धर्मों के भारत में सबसे ज्यादा और सुंदर मंदिर हुआ करते थे
मुस्लिम आक्रमणकारियों ने 70 % मंदिरों का नेस्तानाबूत कर दिया
इस वक्त जैनियों की आबादी लगभग 42 से 43 लाख बची है
5. सिख
14वीं सदी के मध्य में प्रकट हुआ सिख धर्म भारत का प्रमुख धर्म है
सिख धर्म ने उत्तर भारतीय हिन्दू जाति के अस्तित्व को बचाया
पंजाब, सिख धर्म का प्रमुख क्षेत्र था, विभाजन में ये दो हिस्सों में बंटा
वर्तमान में सिखों की आबादी दुनिया में 2.3 करोड़ के आसपास है
सिख धर्म के गुरु, गुरु नानकदेवजी ने भारत को पहली बार ‘हिन्दुस्तान’ कहा
लगभग 1526 में बाबर द्वारा भारत पर हमला करने के हिन्दुस्तान शब्द आया
गुरु नानकदेवजी ने कहा था- ‘खुरासान खसमाना कीआ, हिन्दुस्तान डराईआ।’
6. बहाई धर्म
इस्लामिक कट्टरता के दौर में ईरान में बहाई धर्म की स्थापना हुई
बहाई धर्म के संस्थापक बहाउल्लाह ने 18वीं-19वीं सदी में मानवता के लिए काम किया
बहाई धर्म इस्लामिक कट्टरता का शिकार हो गया और इसके लोग भारत में ही हैं
1844 में जन्मे बहाई धर्म पर ईरान में हिंसा और कत्लेआम हो रहा है
1979 और 1988 के बीच करीब 200 बहाईयों की हत्या कर दी गई
दिल्ली का लोटस टेम्पल बहाई धर्म के विश्व में स्थित 7 मंदिरों में से एक है
आज लगभग 20 लाख बहाई भारत देश की विविधता का प्रतिनिधित्व करते हैं
7. अहमदिया धर्म
मुसलमानों को कट्टरता के बाहर निकालने के लिए अहमदिया संप्रदाय आया
1889 ई. में पंजाब के गुरदासपुर के कादिया नामक स्थान पर इसकी स्थापना हुई
अहमदिया आंदोलन की स्थापना मिर्जा गुलाम अहमद ने की थी
मिर्जा ग़ुलाम अहमद ने ‘बराहीन-ए-अहमदिया’ में अपने सिद्धांतों की व्याख्या की
विभाजन के बाद अहमदिया पाकिस्तान को अपना मुल्क मानकर वहां चले गए
इस्लामिक विद्वान इस संप्रदाय के लोगों को मुसलमान नहीं मानते, ये खतरे में हैं
28 मई 2010 को जुम्मे की नमाज के दौरान अहमदियों की 2 मस्जिदों पर हमला हुआ
अहमदियों चीनी सीमा पर शरणार्थी बन गए हैं उनकी आबादी 25 लाख है
8. दाऊदी बोहरा धर्म
बोहरा समुदाय के 2 पंथ हैं- एक दाऊदी बोहरा और दूसरा सुलेमानी बोहरा
दाऊदी भारत में रहते हैं, तो सुलेमानी यमन में
ऊदी बोहरा वो कहलाता है, जो इस्माइली शिया फिकह को मानता है
दाऊदी बोहरा 21 इमामों को मानते हैं
बोहरा भारत के पश्चिमी क्षेत्र खासकर गुजरात और महाराष्ट्र में पाए जाते हैं
पूरी दुनिया में बोहरा समाज की आबादी 12 लाख 60 हजार है
भारत में इस संप्रदाय के 10 लाख 25 हजार नागरिक निवास करते हैं
9.शिंतो
यह धर्म जापान में पाया जाता है, इसकी आबादी करीब 40 लाख है
जापान के शिंतो धर्म की ज्यादातर बातें बौद्ध धर्म से ली गई थीं
शिंतो के मुताबिक जापान का राजपरिवार सूर्य देवी ‘अमातिरासु ओमिकामी’ से उत्पन्न हुआ
10. अफ्रीका के पारंपरिक धर्म
अफ्रीका में इस्लामिक कट्टरता और ईसाई वर्चस्व के चलते कई धर्म खतरे में है
विश्व की आबादी में इस तरह के पृथक धर्म की आबादी लगभग 5.59% है
कैरिबीय द्वीप समूह में वूडू नाम की आबादी अभी भी जिंदा है
उइदा गांव वूडू बहुल क्षेत्र है जहां सबसे बड़ा वूडू मंदिर है
इसे आदिम धर्म कहते हैं ये करीब 6000 साल पुराना धर्म है
ईसाई और इस्लाम धर्म के प्रचार-प्रसार के बाद इनकी आबादी सिमटी है
आंकड़ों के आधार पर क्या है हिन्दुओं का भविष्य
जो भी धर्म खतरे में है उसमें कहीं न कहीं मुस्लिम बहुल आबादी की बढ़ोत्तरी एक बड़ा कारण है। बात हिन्दुओं की करें तो पूरी दुनिया में अब मात्र 13.95 प्रतिशत हिन्दू बचे हैं। नेपाल कभी एक हिन्दू राष्ट्र हुआ करता था लेकिन वामपंथ के वर्चस्व के बाद ये धर्मनिरपेक्ष बन गया। कभी दुनिया के आधे हिस्से पर हिन्दुओं का शासन हुआ करता था, लेकिन आज कहीं भी उनका शासन नहीं है। अब बताइए ऐसे हालातों में आप क्या करेंगे और क्या वाकई में इसको गंभीरता से लेने की जरूरत नहीं है।
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