Lal Bahadur Shastri Jayanti : 40 रुपये में चल जाता था पूर्व पीएम का काम, जानें शास्त्री जी की सादगी के मशहूर किस्से

Lal Bahadur Shastri Jayanti : भारत के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री अपनी सादगी के लिए पहचाने जाते हैं। प्रधानमंत्री बनने तक उनके पास न ही घर था और न कार। वे ईमानदारी की ऐसी मिसाल थे कि, उन्होनें अपने ही बेटे का प्रमोशन रुकवा दिया था। और स्वतंत्रता की लड़ाई में मरो नहीं मारो का नारा दिया ।

Lal Bahadur Shastri Jayanti : लाल बहादुर शास्त्री का जन्म 2 अक्टूबर 1904 को मुगलसराय में हुआ । इनके पिता का नाम मुंशी शारदा प्रसाद श्रीवास्तव और माता का नाम राम दुलारी था। इनके पिता प्राथमिक विद्यालय के अध्यापक थे और उन्हें मुंशी जी कहकर संबोधित किया जाता था । साफ छवि के कारण देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की 27 मई 1964 को हुई मृत्यु के बाद लाल बहादुर शास्त्री को देश के दूसरे प्रधानमंत्री की जिम्मेदारी सौंपी गई । और वह 9 जून 1964 से 11 जनवरी 1966 तक यानी तक करीब 18 महीने देश के दूसरे प्रधानमंत्री रहे । साथ ही उन्हें शास्त्री की उपाधि काशी विद्यापीठ से मिली जिसे उन्होंने आजीवन अपने नाम के साथ आत्मसात किया । इस महान शख्सियत की सादगी की मिसाल भारत के प्रसिद्ध लेखक और पत्रकार कुलदीप नैयर की किताब एक जिंदगी काफी नहीं में मिलती है।

कार से उतरकर पिया गन्ने का जूस, महंगा हुआ आलू तो छोड़ दिया

Lal Bahadur Shastri Jayanti : बताया जाता है कि, लाल बहादुर शास्त्री इतने साधारण थे कि, एक बार गृहमंत्री रहते हुए कार से उतरकर गन्ने का जूस पिने लग गये । और कुलदीप नैयर ने अपनी किताब में लिखा है कि, हम एक कार्यक्रम के बाद कार से वापस लौट रहे थे और जहां अब एम्स है, वहां रेलवे फाटक बंद होने के कारण कार रोकनी पड़ी । शास्त्री जी ने कुछ दूरी पर एक गन्ने के रस की दुकान देखी तो कार से उतरकर जूस पीने के लिए चल दिये । मैं भी कार से उतरा और उनके साथ चले गया । और हम दोनों ने गन्ने का एक-एक गिलास रस पीया और शास्त्री जी ने उसे पैसे भी चुकाए । साथ ही कुलदीप नैयार ने अपनी किताब में जिक्र किया है कि, शास्त्री जी उन दिनों नेहरू मंत्रिमंडल से बाहर हो गए थे । मैं हमेशा की तरह शाम को उनके बंगले में गया जहां अंधेरा छाया हुआ था । बस ड्राइंग रूम की लाइट जल रही थी और लाल बहादुर शास्त्री ड्राइंग रूम में अकेले बैठे अखबार पढ़ रहे थे । ऐसे में जबमैंने पूछा कि, बाहर रोशनी क्यों नहीं थी तो उन्होंने जवाब दिया कि, अब बिजली का बिल उन्हें खुद देना पड़ेगा और वे ज्याद खर्च नहीं उठा सकते । लाल बहादुर शास्त्री जब सरकार से बाहर थे तो आलू महंगा होने के कारण उन्होंने उसे खाना छोड़ दिया था।

संस्था को खत लिखकर कहा- मेरा काम 40 रुपये में चल जाता है, 10 रुपये किसी अन्य जरूरतमंद को दे दीजिये

Lal Bahadur Shastri Jayanti : यह आजादी से पहले की बात है लाला लाजपत राय ने सर्वेंट्स ऑफ इंडिया सोसायटी बनाई थी। ये संस्था आजादी के लिए जेल गये गरीब स्वतंत्रता सैनानियों की मदद करती थी। जब लाल बहादुर शास्त्री जेल में थे तो उनकी पत्नी को भी 50 रुपये घर चलाने के लिए इस संस्था की तरफ से मिलते थे। एक बार जेल से लाल बहादुर शास्त्री ने पत्नी ललिता शास्त्री को खत लिखा और पूछा कि, 50 रुपये में घर चल जाता है ।इस पर पत्नी ने बताया कि, वो 40 रुपये में ही घर चला लेती हैं और 10 रुपये बच भी जाते हैं। इस पर लाल बहादुर शास्त्री ने सर्वेंट्स ऑफ इंडिया सोसायटी को खत लिखा कि, उनका काम 40 रुपये में चल जाता है तो आप 10 रुपये घटाकर किसी अन्य जरूरत मंद को दे दीजिये। इतनी सादारणता और सादगी विरले ही लोगों में देखने को मिलती है।

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