इस पौधे का दुनिया देखती है दम, पांचवा फायदा मर्दों के लिए सबसे खास

जिंदगी की भागम भाग में हम शरीर पर ध्यान देने का समय भी नहीं निकाल पाते। लक्षण दिखने से लेकर समस्या बढ़ने तक हम बीमारी को अनदेखा किया करते हैं। इलाज कराने तब जाते हैं जब आप बीमारी को लेकर नहीं बल्कि बीमारी आपको लेकर चलने लगती है। अंग्रेजी दवाएं भले ही तुरंत असर दिखाएं पर उनके नुकसान जान हम दूरी बनाने की सोचते हैं और इलाज के लिए भारत की प्राचीन पद्धति का रुख करते हैं।

लाजवंती का पौधा

आज के दौर में मर्द हो या औरत, परिवार और पैसे के चक्कर में खुद को सिर्फ दौडाए जा रहा है। नुकसान भी हो रहे हैं। पर ध्यान देने का समय नहीं है। लेकिन आज हम आपको एक ऐसे पौधे के बारे में बताएंगे जिस पर आप थोड़ा सा समय निकाल कर ध्यान देंगे तो आप डॉक्टर से दूर ही रहेंगे।

लाजवंती का पौधा, शायद सुना हो और न भी सुना हो। क्योंकि इस पौधे को भारत में अलग-अगल नामों से जाना जाता है। यह पौधा नमी वाले स्थानों में ज्यादा पाया जाता है। इस छोटे से पौधे में अनेक शाखाएं होती है। इसका वानस्पतिक नाम माईमोसा पुदिका है। यह पौधा अनेक रोगों के निवारण के लिए उपयोग में लाया जाता है।

लाजवंती का पौधा आयुर्वेद के लिहाज से एक विशेष पौधा है। इसके गुलाबी फूल बहुत सुन्दर लगते हैं। साथ ही इस पौधे के फूल, जड़, तने और पत्तियां गंभीर बीमारी को जड़ से दूर कर सकते हैं।

उत्तर भारत में इसे छुईमुई भी कहते हैं। इनके पत्ते को छूने पर ये सिकुड़ कर आपस में सट जाती है। अपने इस स्वभाव की वजह से इसे शर्मिली के नाम से भी जाना जाता है। यह पौधा आदिवासी अंचलों में हर्बल नुस्खों के तौर पर अनेक रोगों के निवारण के लिए उपयोग में लाया जाता है।

जानिए वो गंभीर बीमारी जिनका करेगा इलाज-

मधुमेह रोग में राहत: मधुमेह के इलाज के लिए लाजवंती की पत्तियों से बने काढ़े को बेहद गुणकारी माना जाता है। छुईमुई की 100 ग्राम पत्तियों को 300 मिली पानी में डालकर काढ़ा बनाया जाए तो यह काढ़ा मधुमेह के रोगियों को काफी फायदा होता है।

गले के टोंसिल का इलाज: छुई मुई की पत्तियों को पीसकर पानी में लेप बनाकर गले पर लगाने से टोंसिल के दर्द में राहत मिलती है, इसी तरह खांसी के इलाज में लाजवंती की जड़ और शहद का मिश्रण बनाकर चाटने से सूखी खांसी से आराम मिलता है।

बवासीर और भगंदर का इलाज: लाजवंती के पौधे की जड़ और पत्तों का चूर्ण दूध में मिलाकर दो बार देने से बवासीर और भगंदर रोग में राहत मिलती है, कई आदिवासी इलाकों में छुई-मुई की पत्तियों के रस को दही के साथ मिलाकर खूनी दस्त के इलाज में प्रयोग किया जाता है

स्तनों के ढीलेपन का इलाज: स्तनों का ढीलापन दूर करने के लिए लाजवंती और अश्वगंधा की जड़ों को पीसकर इनके मिश्रण का स्तनों पर लेप करने से वक्षों में कसावट आती है। गर्भाशय के बाहर आने की समस्या में छुई-मुई की पत्तियों को पीसकर पानी में मिलाकर स्थान-विशेष को धोने का परामर्श दिया जाता है, यदि आपको पहले से कोई इन्फेक्शन है तो किसी काबिल डॉक्टर से परामर्श लेकर ही ऐसा करें।

नपुंसकता, शीघ्रपतन और मर्दाना कमजोरी का इलाज: तीन से चार इलायची, 2 ग्राम लाजवंती की जड़ें, 3 ग्राम सेमल की छाल को पीसकर और इस मिश्रण को एक गिलास दूध में मिलाकर प्रतिदिन रात को सोने से पहले पीने से कमजोरी दूर होती है। छुई मुई के बीज और जड़ का चूर्ण गुड़ और दूध के साथ लेने से वीर्य बढ़ता है। साथ ही लाजवंती के पत्तों को पीसकर नाभि के नीचे लगाने से अधिक पेशाब आने की समस्या का निदान होता है।

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