कुशीनगर : मृतक बच्चों के साथ डॉक्टर्स का सौतेला व्यवहार, जानकार उड़ जाएंगे आपके होश

अनूप

कुशीनगर हादसे में मरे 13 बच्चों के साथ जहां पूरा देश खडा है, तो वहीं कुशीनगर के स्वास्थ्य महकमे की संवेदनहीनता खुलकर सामने आई है. बच्चों का पोस्टमार्टम करने वाले डाक्टरों ने मानवता को शर्मसार करते हुए मासूम बच्चों के शवों को बिना सिलाई किये ही छोड़ दिया. इसके कारण उनके शरीर के अंग बाहर आ गये.

कुशीनगर हादसा

डाक्टरों ने पेट और सिर का पोस्टमार्टम करने के बाद भी सिला ही नहीं था. जनाजा निकलने के पहले कामरान और फरहान दोनों भाईयों के शवों को नहलाने के लिए खोला गया तो भीतर के सारे अंग दिखाई पड़ रहे थे, जिससे परिजनों की हालत खराब हो गई. बाद में बिना नहलाये ही दोनों मासूमों के शवों को दफन किया गया लेकिन पोस्टमार्टम करने वाले डाक्टरों की संवदहीनता से हर कोई आक्रोश में था.

यह सोचने वाली की बात है कि जिस घटना के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कुछ ही घंटो में मौके पर पहुंचकर मासूमों और उनके परिजनों को सांत्वना दे रहे हैं. वहीं इन मासूमों का पोस्टमार्टम करने वाले चिकित्सक हृदयहीनता की सारी हदें पार कर रहें हैं.

स्कूली बस और ट्रेन की टक्कर में पडरौन मडूरही निवासी हैदर अली के दो बेटे कामरान और फरहान की भी मौत हुई थी. हैदर अली के सउदी अरब रहने के कारण कामरान और फरहान के शव को दफनाया नहीं गया था. हैदर अली के आने पर दोनों को दफनाने की रस्म शुरू हुई. जैसे ही दोनों के शवों को नहलाने के लिए खोला गया तभी शरीर का सारा अंग बाहर आ गया.

पोस्टमार्टम के बाद ना तो पेट सिला गया था और ना ही सिर. इसके बाद लोगों ने उपर से पानी छिड़क दोनों मासूमों को दफन तो कर दिया. लेकिन पोस्टमार्टम करने वाले चिकित्सकों की संवेदनहीनता से लोगों काफी आक्रोश साफ़ देखने को मिल रहा था. लोगों का कहना था कि इस इन मासूमों के साथ इस तरह की हृदयहीनता ठीक नहीं है.

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