बसंत पंचमी को यूं करें कामदेव की पूजा, ज्ञान के साथ मिलेगा प्यार
वैसे तो बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा की जाती है. ऐसा माना जाता है कि इस दिन ज्ञान की देवी सरस्वती का जन्म दिवस होता है. लेकिन देवी सरस्वती के साथ कामदेव की पूजा की जाती है. कामदेव को काम, प्रेम और रूप के देवता हैं. बसंत पंचमी को भारतीय संस्कृति में सरस्वती पूजन और प्रेम दिवस के रूप में भी मनाने की परंपरा रही है.
कामदेव के साथ रति और राधा कृष्ण की पूजा की भी परंपरा रही है. कामदेव और रति की पूजा करने से प्रेम संबंध और दांपत्य जीवन में आपसी तालमेल और मधुर संबंध बना रहता है.
बसंत पचंमी के दिन कामदेव और उनकी पत्नी रति ऋतुराज बसंत के साथ पृथ्वी पर आते हैं और मनुष्यों ही नहीं धरती के सभी जीव जंतुओं के हृदय में प्रेम और काम को जगाने का काम करते हैं.
कामदेव के साथ देवी सरस्वती की पूजा इसलिए की जाती है ताकि काम भाव मनुष्य पर हावी ना हो जाए. देवी सरस्वती मनुष्यों में ज्ञान और विवेक जगाने के लिए प्रकट हुई थीं.
द्वापर युग में राधा और श्रीकृष्ण प्रेम के देवी-देवता के रूप में प्रकट हुए.
बसंत पंचमी के दिन से ही श्रीकृष्ण और देवी राधा की होली शुरू हो जाती थी. इसलिए बसंत पंचमी के दिन गुलाल लगाने की भी परंपरा सदियों से चली आ रही है.
कामदेव की पूजा
माघ शुक्ल पूर्वविद्धा पंचमी को उत्तम वेदी पर वस्त्र बिछाकर अक्षतों का कमल दल बनाएं. उसके अग्र भाग में गणेश जी और पिछले भाग में वसंत (जौ व गेहूं की बाल का पुंज, जो जलपूर्ण कलश में डंठल सहित रखकर बनाया जाता है) स्थापित करें. उसके बाद गणेश जी का पूजन करें. इसके बाद पीछे वाले पुंज में रति और कामदेव का पूजन शुरू करें. पहले उन पर अबीर आदि के पुष्पोम छींटे लगाकर वसंत सदृश बनाएं.
इसके बाद– शुभा रतिः प्रकर्तव्या वसंतोज्ज्वलभूषणा। नृत्यमाना शुभा देवी समस्ताभरणैर्युता।। वीणावादनशीला च मदकर्पूरचर्चिता। मंत्र से रति का और कामदेवस्तु कर्तव्यो रूपेणाप्रतिमो भुवि। अष्टबाहुः स कर्तव्यः शङ्खपद्मविभूषणः।। चापबाणकरश्चैव मदादञ्चितलोचनः। रतिः प्रीतिस्तथा शक्तिर्मदशक्ति-स्तथोज्ज्वला।। चतस्रस्तस्य कर्तव्याः पत्न्यो रूपमनोहराः। चत्वारश्च करास्तस्य कार्या भार्यास्तनोपगाः। केतुश्च मकरः कार्यः पञ्चबाणमुखो महान्। मंत्र से कामदेव का ध्यान करें.
इसके बाद दोनों को विविध प्रकार के फल, फूल और पत्रादि समर्पित करें तो गार्हस्थ्य जीवन, खासकर दांपत्य जीवन सुखमय रहेगा और प्रत्येक कार्य में उत्साह से भरे रहेंगे.