कामदा एकादशी के व्रत से मिलती है प्रेत योनि से मुक्ति, जानिए शुभ मुहूर्त और व्रत विधि

आज कामदा एकादशी है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस एकादशी का व्रत रखने से प्रेत योनि से मुक्ति मिल सकती है. इस दिन जो भी व्यक्ति सच्ची श्रद्धा के साथ व्रत रखता है उसकी मनोकामना जरूर पूरी होती है. इस व्रत के मौके पर जानिए शुभ मुहूर्त और व्रत कथा.

कामदा एकादशी

शुभ मुहूर्त

एकादशी तिथि प्रारंभ: 03 बजकर 43 म‍िनट (27 मार्च 2018)

एकादशी तिथि समाप्त: 01 बजकर 31  मिनट (28 मार्च 2018)

पारण का समय: 06 बजकर 59 मिनट से 08 बजकर 46 मिनट (28 मार्च 2018)

पारण के दिन हरि वास का समय समाप्त: 06 बजकर 59 म‍िनट (28 मार्च 2018)

व्रत विधि

हिंदू पंचांग के अनुसार महीने में दो बार एकादशी आती है. जिसमें एक शुक्लपक्ष की होती है और एक कृष्ण पक्ष होती है. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है. कामदा एकादशी के दिन स्नान करके भगवान विष्णु का फल, फूल, दूध, पंचामृत, तिल आदि से पूजन करें. रात में सोना में सोने के बजाय भजन-कीर्तन करें और अगले दिन पूजन कर ब्राह्मण को भोजन कराएं और दक्षिणा दें.

कामदा एकादशी की व्रत कथा

प्राचीन काल में भोगीपुर नामक नगर था. वहां पुण्डरीक नामक राजा राज्य करते थे. इस नगर में अनेक अप्सरा, किन्नर तथा गंधर्व वास करते थे. उनमें से ललिता और ललित में अत्यंत स्नेह था. एक दिन गंधर्व ललित दरबार में गाना गा रहा था. उसे पत्नी ललिता की याद आ गई. इससे उसका स्वर, लय एवं ताल बिगड़ने लगे. इसे कर्कट नामक नाग ने जान लिया और यह बात राजा को बता दी. राजा ने क्रोध में आकर ललित को राक्षस होने का श्राप दे दिया.

ललित की पत्नी ललिता को जब यह पता चला तो उसे बहुत दुख हुआ. उसने श्रृंगी ऋषि के आश्रम में जाकर प्रार्थना करने लगी. श्रृंगी ऋषि बोले कि हे गंधर्व कन्या! अब चैत्र शुक्ल एकादशी आने वाली है, जिसका नाम कामदा एकादशी है. कामदा एकादशी का व्रत कर उसके पुण्य का फल अपने पति को देने से वह राक्षस योनि से मुक्त हो जाएगा. ललिता ने मुनि की आज्ञा का पालन किया और एकादशी व्रत का फल देते ही उसका पति राक्षस योनि से मुक्त होकर अपने पुराने स्वरूप को प्राप्त हुआ.

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